संजर से अजमेर का सफ़र – पार्ट -5
हुज़ूर ख्वाजा ग़रोब नवाज़ की उम्र अभी चौदह साल भी नहीं होने पायी थी कि एक दिन आपके वालिद ने आपको अपने करीब बुलाया और फ़रमाया “बेटे हसन आज मै तुम्हारे साथ हूँ, हो सकता है कल न रहू, मगर बेटे अल्लाह के रसूल और बाबा हुसैन के दीन को फैलाने की ज़िम्मेदारी अब तुम्हारे हवाले है, ... Read More →