HealthNationalOtherSpecial All timeSportsState

दुनिया और पत्नी के ताने में फर्क होता है…

हरिराम आज सुबह-सुबह जल्दी उठ गया था…पत्नी चिंताबाई ने कहा था पीटीएम के लिए जाना है…हरिराम अपने स्कूल के वक्त को याद करता हुआ पत्नी से कह रहा था ये सब चोचले हमारे समय में तो नहीं होते थे…चिंता बाई ने घूरते हुए देखा और कहा- इसीलिए तो पत्रकार हो, नहीं तो डॉक्टर-इंजीनियर नहीं होते…

दुनिया के ताने और पत्नी के ताने में फर्क होता है…कंघी करते-करते तीरछी नज़रों से चिंताबाई को देखा। चिंताबाई अपने काम में ही लगी रही…जैसे सहज भाव से कोई बात कह दी हो…

 

Media person life अचानक हरिराम ने चिंताबाई पर पलटवार किया… “पत्रकार था तो मुझसे शादी क्यों की…पिताजी के यहां कुआं नहीं था क्या…कूद जाती उसमें!”

चिंता बाई ने अपनी तरफ आते हुए इस तीर के पहले ही अपने धनुष पर मंत्र पढ़कर इसका काट चढ़ा लिया था और अपने तरफ आते तीक्ष्ण बाण को काटने अपना तीर छोड़ दिया-“सुनो! जब जानना ही चाहते हो तो…” कहकर घड़ी करते हुए कपड़े को एक तरफ फेंकते हुए हरिराम के पास आकर बोली-

“ तुम्हारे बारे में पिताजी ने कई जगह से रिपोर्ट ली…सबने कहा कि लड़का उपसंपादक यानी सब एडिटर है…पिताजी तुम्हारे ऑफिस भी गए थे…उन्होंने पूछा कि लड़का क्या करता है…तब वहां भी बताया कि सब एडिटर है…जैसे ही पिताजी को बताया गया कि लड़का उपसंपादक यानी सब एडिटर है, पिताजी ने अपने पहचान वालों से पूछा- ये सब एडिटर क्या होता है? शोले फिल्म में जैसे किसी ने ये बताया था न कि जब कोई अंग्रेज मरता है तो उसे सुसाइड कहते हैं, वैसे ही किसी लालबुझक्कड़ चचा ने पिताजी को बता दिया कि सब एडिटर यानी एडिटर के ठीक पहले…अगला पद एडिटर…।

बस पिताजी को लगा, उनकी तो लॉटरी लग गई..अब बैठे बिठाए इतना बढ़िया दामाद मिल गया..

सोचा, वाह…एक दो साल में प्रमोट होकर तो संपादक बन ही जाएगा…बस, इसी धोखे में तुमसे शादी करवा दी…अब उन्हें क्या पता था कि उपसंपादक अखबार का अंतिम व्यक्ति होता है…आज दस साल गुजरने के बाद जब भी मैं मायके जाती हूं….पिताजी पहला सवाल करते हैं , बेटा, हरिराम संपादक कब बनेगा..

-यशवंत गोहिल।

(ये किसी भी व्यक्ति विशेष पर आधारित नहीं, केवल एक व्यंग्यात्मक रचना है)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button