नई दिल्ली। बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी से मिलती-जुलती एक और कहानी सामने आई है। एक शख्स ने पास की एक पहाड़ी से बारिश के पानी को अपने खेल में लाने के लिए तीन किलोमीटर लंबा नहर खोद डाला। ये मामला भी बिहार गया जिले के लहटुआ क्षेत्र के कोठीलावा गांव की है।
बताया, `पिछले 30 साल से मैं पास के जंगल जाता था और नहर खोदता था। किसी ने मेरे इस काम में साथ नहीं दिया। गांव वाले अब जीविका कमाने के लिए शहर की ओर जा रहे हैं, लेकिन मैंने गांव में रहने का फैसला किया।`
कोठीवाला गांव चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है। ये जिला मुख्यालय गया से करीब 80 किलोमीटर दूर है। ये गांव माओवादियों की शरणस्थली के रूप में भी चिह्नित है।
इस क्षेत्र में लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत यहां खेली और पशुपालन है। बारिश के मौसम में पहाड़ों से आने वाला पानी नदियों में बह जाता है। इसे ही लाने के लिए भूइयां ने नहर बनाने की सोची। भूइयां को लगता था कि यह पानी अगर खेतों में आ सके तो इससे कई समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी।
एक ग्रामीण पट्टी मांझी ने बताया, `वह पिछले 30 सालों से अकेले नहर बनाने के काम में लगे हुए थे। उनके इस प्रयास से बड़ी संख्या में जानवारों को पानी मिलेगा और खेतों की सिंचाई भी हो सकेगी। वह यह नहर सिर्फ अपने फायदे के लिए नहीं बना रहे हैं बल्कि पूरे इलाके की मदद करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।`
वहीं, गया के रहने वाले एक शिक्षक ने इस काम से ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने के लिए भूइयां की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना की