बैंक में पैसा रखना भूल जाओ! ये 4 एसेट्स बनाएंगे आपको अमीर

नौकरी का डर छोड़ो, Assets बनाओ! पैसे से पैसा बनाना सीखो
अहमद का डर और सुमित का कॉन्फिडेंस: क्यों एक नौकरी काफी नहीं?
अहमद, एक 25 वर्षीय युवक, एक निजी कंपनी में अच्छी खासी ₹50,000 मासिक वेतन पर कार्यरत था। यह आय (Income) भारत में सम्मानजनक मानी जाती है, और अहमद भी इससे संतुष्ट था। लेकिन उसके मन में एक गहरा डर समाया हुआ था। वह जानता था कि निजी कंपनियां डिग्री से ज़्यादा कौशल को महत्व देती हैं, और कल को अगर कोई अधिक कुशल कर्मचारी मिल जाए, तो पुराने कर्मचारियों को निकालने में वे हिचकिचाएंगे नहीं। इसके अलावा, उसके पास आय (Income) का कोई अन्य स्रोत नहीं था, जहाँ से वह एक रुपया भी कमा सके।
उसी कंपनी में अहमद का एक दोस्त था, सुमित, जो ₹90,000 प्रति माह कमाता था और दूसरे विभाग में मैनेजर के पद पर था। सुमित में एक खास बात थी – वह अत्यधिक कुशल था और हमेशा आत्मविश्वास से भरा दिखता था। उसे देखकर ऐसा लगता था मानो उस पर किसी भी तरह का दबाव न हो। ऑफिस में सबसे शांतचित्त व्यक्ति सुमित ही था।
एक दिन, जब सुमित कॉफी लेने कैंटीन गया, तो उसने देखा कि अहमद गहरी सोच में डूबा हुआ है। सुमित अपनी कॉफी लेकर अहमद के पास बैठ गया और पूछा, “अहमद, इतनी गहरी सोच में क्यों हो भाई? कोई परेशानी है क्या?”
अहमद ने उदासी से कहा, “यार सुमित, क्या बताऊं? मैं डर में जी रहा हूँ।”
“डर? किस बात का डर?” सुमित ने पूछा।
“सुमित, तुम्हें तो पता ही है इस कंपनी के मालिक कितने सख्त हैं। वो छोटी सी गलती पर भी नौकरी से निकाल देते हैं। और खुदा न करे अगर कभी मुझसे कोई गलती हो गई और उन्होंने बाकियों की तरह मुझे भी नौकरी से निकाल दिया, तो मैं तो बर्बाद ही हो जाऊंगा, क्योंकि यही एकमात्र नौकरी है मेरे पास पैसा कमाने के लिए।”
सुमित ने अहमद को समझाया, “अहमद, तुम्हें पता है मैं क्यों इतना कॉन्फिडेंट रहता हूँ? क्यों तुम मुझे ज्यादातर समय चिल मोड में ही देखते हो?”
“क्यों, सुमित? बताओ मुझे।” अहमद उत्सुक था।
“क्योंकि जिस डर में तुम आज हो, उस डर को मैं काफी समय पहले, बहुत पीछे छोड़ चुका हूँ।”
“मतलब? मैं समझा नहीं,” अहमद ने कहा।
“देखो, तुम्हारे डर की मुख्य वजह क्या है? कि यह नौकरी तुम्हारा एकमात्र आय (Income) का स्रोत है। लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है। मैं पहले ही अपने लिए इतने एसेट्स (संपत्तियाँ) Assets बना चुका हूँ कि अब मुझे नौकरी की सुरक्षा की भी टेंशन नहीं है, क्योंकि इन एसेट्स की वजह से अब मेरी कई जगहों से इनकम आ रही है।”
“एसेट्स? यह क्या होता है?” अहमद ने पूछा।
“एसेट्स वो चीजें होती हैं जो तुम्हें पैसा कमा कर देती हैं। जैसे तुम्हारे केस में, तुम्हारी यह नौकरी। बट प्रॉब्लम यह है कि तुम्हारे पास सिर्फ यही एक एसेट है।”
“अरे नहीं, नहीं, नहीं! अगर ऐसा है तो मेरे पास एक और एसेट है – मेरा बैंक अकाउंट! क्योंकि वहाँ पर मेरा पैसा हर साल 4% से बढ़ रहा है, वो भी मेरी बिना इंवॉल्वमेंट के। यह है ना मेरे लिए एसेट?” अहमद ने आत्मविश्वास से कहा।
“अहमद, ऐसा तुम्हें लग रहा है। बट अगर तुमने अपना बचा हुआ सारा का सारा पैसा बैंक में रख रखा है, तो वह तुम्हारे लिए एक एसेट नहीं, एक लायबिलिटी (देयता) है, जो तुम्हारा नुकसान करा रही है।”
“अरे, वो कैसे?” अहमद हैरान था।
“देखो, एक सिंपल सी कैलकुलेशन से मैं तुम्हें समझाता हूँ। तुम्हारा बैंक तुम्हें हर साल 4% इंटरेस्ट दे रहा है। यानी अगर तुम्हारे बैंक अकाउंट में ₹1 लाख हैं, तो 1 साल के बाद तुम्हें उन पर ₹4,000 आय (Income) होगी। बट इधर अगर तुम महंगाई को देखो, तो यहाँ पर हर साल सात से लेकर 9% तक का उछाल आ रहा है। यानी इस साल अगर तुम्हारे राशन-पानी और जरूरत की चीजों की कीमत अगर ₹1 लाख है, तो अगले साल तुम्हें इतने ही राशन-पानी और जरूरत की चीजों के लिए लगभग ₹1,07,000 से ₹1,09,000 चाहिए होंगे। तो अब तुम समझो, इनडायरेक्टली तुम्हारे बैंक के अंदर उन पैसों की वैल्यू बढ़ नहीं रही, उल्टा कम होती जा रही है।”
“हाँ, यह तो मैंने सोचा ही नहीं,” अहमद ने स्वीकार किया।
“लेकिन अब तुम ही बताओ सुमित, मैं और कौन-कौन से एसेट्स क्रिएट करूँ जिससे मुझे भी तुम्हारी तरह अलग-अलग जगहों से रेगुलर इनकम आती रहे?” अहमद ने उत्सुकता से पूछा।
“देखो, मैं तुम्हें वो एसेट्स बता देता हूँ जो मैंने खुद के लिए बनाए हुए हैं। इन्हीं में से तुम डिसाइड कर सकते हो कि तुम्हारे लिए कौन सा बेस्ट है। मेरे पास अभी के टाइम में चार एसेट्स हैं जहाँ से मुझको फाइनेंशियली तौर पर या तो रेगुलर इनकम आ रही है या इनकम बढ़ाने के रास्ते खुल रहे हैं।” सुमित ने रहस्यमय ढंग से कहा। आय
(आगे की कहानी जारी रहेगी जिसमें सुमित अपने बनाए हुए चार एसेट्स के बारे में विस्तार से बताएगा)
आगे की कहानी, जिसमें सुमित अपने बनाए हुए चार एसेट्स के बारे में विस्तार से बताएगा
“एंड इसमें सबसे पहला एसेट है मेरी एजुकेशन (My Education),” सुमित ने बताना शुरू किया। “सालों पहले जब मेरी इस कंपनी में जॉइनिंग हुई थी, तो मुझे भी इस बात का अंदाजा था कि शायद यह जॉब मेरे फ्यूचर के लिए 100% सुरक्षित नहीं है। तो मान लो मेरी भी वही कंडीशन थी जो आज तुम्हारी है। बट कुछ ही टाइम के अंदर मैं समझने लगा कि अगर मुझे यहां पर लंबे टाइम तक टिके रहना है, तो मुझे अपनी स्किल्स के अंदर सबसे बेस्ट होना पड़ेगा। लाइक यहां पर मेरा सबसे पहला काम सेल्स एग्जीक्यूटिव का था, जहां मुझे कंपनी के लिए पर डे के हिसाब से सेल्स निकालनी थी। अब उस टाइम मेरे साथ में जितने भी कलीग्स बैठे हुए थे, वो सेल्स निकालने के लिए वही पुराने घिसे-पिटे तरीके अपना रहे थे। तो मैंने यहां पर इनको फॉलो करने की जगह अपने नए तरीके इजाद किए, जिनके लिए मुझे कुछ बुक्स और कुछ कोर्सेस बाय करने पड़े। डेफिनेटली यहां मेरा पैसा तो खर्च हुआ, लेकिन मुझे यह क्लियर था कि मेरी यह इन्वेस्टमेंट मेरे लिए आगे चलकर एक एसेट की तरह काम करेगी और सच में ऐसा हुआ भी। उन बुक्स और कोर्सेस को अच्छे से सीख लेने के बाद, मैं ह्यूमन साइकोलॉजी से लेकर पर्सुएशन, स्टोरीटेलिंग, एंपैथी, नेगोशिएशन इन सब चीजों को इतनी सफाई से यूज करने लगा कि सामने वाले के पास कोई रीजन ही नहीं बचता था कि वो क्यों हमारा प्रोडक्ट ना खरीदे। एंड इसी के चलते मैं अपने बाकी सारे कलीग्स से कई ज्यादा सेल्स निकाल पाता था। तुम यकीन नहीं करोगे बट मेरा एक साल के अंदर तीन बार प्रमोशन हुआ था, एंड आज तो तुम मेरी पोजीशन और सैलरी देख ही रहे हो। अभी भी अगर मुझे लगता है कि मुझे कुछ और भी सीखना चाहिए, तो वहां मैं खुद पर इन्वेस्ट करने से पहले ज्यादा नहीं सोचता, क्योंकि ओवर द टाइम वहां पैसा लगाना मेरी ग्रोथ में ही काम आता है मुझको। सो यह था मेरा पहला एसेट।”
“अगला एसेट जो मुझे पैसा बनाकर देता है, वह है घोस्ट रेंटिंग (Ghost Renting)।”
अहमद ने हैरान होकर पूछा, “क्या तुम भूतों से किराया लेते हो?”
सुमित हँसा, “अरे नहीं, मैं समझाता हूँ तुम्हें यह क्या है। देखो, तुम्हें भी पता है कि अगर तुम्हारे पास कोई स्पेस है, कोई हॉल या कोई घर वगैरह, तो तुम उसको रेंट पर देकर अच्छे पैसे कमा सकते हो। बट रेंट पर देने के लिए एक अलग घर खरीदना इसको हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता, एंड टू बी वेरी ऑनेस्ट, मेरे पास भी फिलहाल इतने पैसे नहीं हैं कि 50-60 लाख लगाकर मैं कोई दूसरा घर खरीद सकूँ। मेरी तो टोटल सेविंग्स ही ₹2 लाख की थी जो मैंने लगभग दो सालों में जमा की थी। लेकिन फिर भी मैं रेंटल इनकम कमा रहा हूँ। पर कैसे?” अहमद ने बड़ी हैरानी से पूछा।
“देखो, इंडिया की पॉपुलेशन पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से बढ़ रही है, एंड आज तो हम पॉपुलेशन के मामले में पहले नंबर पर आ चुके हैं। एंड इसी को देखते हुए मुझे यह सालों पहले ही अंदाजा लग गया था कि आने वाले टाइम में रियल एस्टेट की डिमांड काफी बढ़ने वाली है। लोगों को रहने के लिए घर चाहिए होंगे, जगह चाहिए होगी। बट अगेन, हर कोई अपना खुद का घर अफोर्ड नहीं कर सकेगा। तो मेरे और मेरे चार कलीग्स ने मिलकर ₹2-2 लाख अरेंज किए, एंड ₹10 लाख की इन्वेस्टमेंट में एक जमीन लेकर उस पर पांच मंजिला फ्लैट तैयार करवा दिया। वो फ्लैट जब पूरी तरह बनकर तैयार हो गया, तो उसके हमने हर एक फ्लोर को ₹15,000 पर मंथ के हिसाब से रेंट पर देना शुरू कर दिया। अभी लगभग 6 साल बाद मैं उस रेंटल इनकम से ₹9 लाख रिकवर कर चुका हूँ, एंड अगले साल मैं इस फ्लैट के साथ-साथ इसकी पूरी इन्वेस्टमेंट रिकवर कर चुका हूँगा। फिर इसके बाद इसकी रेंटल इनकम एज प्रॉफिट मेरे पास आएगी। तुम यह मानो, मुझे इन 6 सालों में मेरी ₹2 लाख की इन्वेस्टमेंट पर ₹7 लाख का प्रॉफिट हो गया। इनफैक्ट अब तो मेरी प्रॉपर्टी की कीमत भी बढ़ गई है। अब एक बार के लिए जरा इमेजिन करो, अगर यह ₹2 लाख मैंने यहां लगाने की जगह सेविंग्स अकाउंट में रख दिए होते, एंड मान लो अगर मुझे उन पर 5% भी इंटरेस्ट मिल रहा होता, तो मेरे यह ₹2 लाख 6 सालों के बाद कंपाउंड होकर ₹2,68,000 के आसपास बनते। मतलब ₹2 लाख पर ₹68,000 – देख रहे हो, आधे से भी कम? तो इसीलिए यह रेंटल इनकम मेरा दूसरा बड़ा एसेट है।”
“मेरा अगला एसेट जो मैंने अभी हाल ही में बाय किया है, वह है एक लिमिटेड एडिशन गोल्ड वॉच (Limited Edition Gold Watch), जो कि ₹5 लाख की है।”
अहमद ने फिर से सुमित को टोक दिया, “अब यह तुम्हारे लिए एसेट कहां से हुआ? अरे, यहां तो तुमने पैसे बर्बाद कर दिए! तुम तो शो ऑफ कर रहे हो। मेरी घड़ी देखो, ₹250 की है, बट टाइम वही बताती है!”
“अहमद, ‘थ्री इडियट्स’ मैंने भी बहुत बार देखी है। यह डायलॉग मुझे भी पता है। बट इस घड़ी को लेने का पर्पस मेरा शो ऑफ करना नहीं है, मेरा सीधा पर्पस इस घड़ी के थ्रू प्रॉफिट कमाना है।”
“अच्छा, वो कैसे?” अहमद ने पूछा।
“देखो, मैंने इसको इसलिए बाय किया है क्योंकि यह घड़ी गोल्ड से बनी है और गोल्ड के दाम हर साल 10 से 11% से इनक्रीज हो रहे हैं। तो इस 5 लाख की घड़ी को अगर मैं अगले 5 साल भी अपने पास रखता हूँ, तो उस वक्त मेरी इस घड़ी की वैल्यू कंपाउंड इंटरेस्ट लगाकर लगभग ₹8,05,000 के आसपास होगी। एंड दूसरा, यह एक लिमिटेड एडिशन वॉच है, जो काफी रेयरली लोगों के पास मिलेगी, तो इससे इस घड़ी की वैल्यू और भी ज्यादा बढ़ जाती है। तो यह कमोडिटी तुम मान सकते हो मेरा अगला बड़ा एसेट है, जो फ्यूचर में मुझे मेरी इन्वेस्टमेंट पर काफी अच्छा प्रॉफिट देगा।”
अहमद ने सुमित से पूछा, “सुमित, एक बात बताओ, अभी तुम्हारी सैलरी ₹90,000 है, ₹75,000 तुमको रेंटल इनकम आती है, टोटल होते हैं ₹1,65,000। इनमें तुम घर के खर्चे निकालने के बाद फिर भी बहुत पैसे बचा सकते हो। बट इससे पहले जब तुमको रेंटल इनकम नहीं आती थी, तो तुमने ₹2 लाख 2 साल में जमा कैसे कर लिए? तुम घर का खर्च कैसे उठाते थे? और पहले तो तुम्हारी सैलरी भी कम रही होगी?”
इस पर सुमित ने हँसते हुए जवाब दिया, “तुमने सही कहा अहमद, तुम्हारा यह सोचना जायज है क्योंकि अभी तक मैंने तुम्हें अपने सारे एसेट्स नहीं बताए। देखो, उस टाइम मेरी मंथली सैलरी ₹25,000 थी, एंड इसके अलावा मेरे पास कोई और इनकम सोर्स नहीं था। बट जैसा कि मैंने तुमसे कहा, सालों पहले तुम्हारी तरह ही मेरे मन में भी डर था। यही माइंड में चलता रहता था कि बस यही इनकम सोर्स है मेरे पास, किसी वजह से अगर यह बंद हो गई तो क्या होगा मेरा? बट क्योंकि मैं खुद को एजुकेट करने के लिए कई अलग-अलग बुक्स खरीदता था, तो वहीं से ही मुझे एसेट बिल्डिंग का यह कॉन्सेप्ट समझ में आया। तो मैंने फिर बिना ज्यादा फालतू के खर्च किए इसकी तैयारी जॉब लगने के दूसरे साल ही शुरू कर दी थी। मैंने जैसे-तैसे उन एक-दो सालों में ₹2 लाख इकट्ठा किए, एंड अपने किसी जानने वाले से एक सेकंड हैंड ऑटो खरीद लिया। यह मैंने पर्पसली किया था क्योंकि मेरा एक पड़ोसी था समीर नाम का, जो उस टाइम पर बेरोजगार था बट वो ऑटो चलाना जानता था। तो उसे मैंने अपने इस ऑटो को रेंट पर चलाने के लिए दे दिया। वो मुझे एक दिन के हिसाब से ₹700 देता था, जो महीने के बनते हैं लगभग ₹21,000। हालांकि बीच-बीच में उस ऑटो के अंदर कुछ एडिशनल खर्चे भी होते थे, बट फिर भी मेरी बिना किसी इंवॉल्वमेंट के मैं ऑन एन एवरेज ₹18,000 तो वहां से कमा लिया करता था। तो उस टाइम मेरी एक महीने की कमाई ₹25,000 नहीं बल्कि ₹25,000 + ₹18,000 = ₹43,000 थी, जिससे मैं इतने कम टाइम में काफी पैसे सेव कर पाया। वैसे आज भी मेरी इन्वेस्टमेंट पर दो ऑटो चल रहे हैं जिनका पर डे रेंट बढ़ाकर मैंने ₹1,000 किया हुआ है, तो एडिशनल खर्चे काट-पीट कर मैं ऑन एन एवरेज मंथली वहां से ₹50,000 निकाल रहा हूँ।”
“अब ओवरऑल इन सब एसेट्स का अगर मैं निचोड़ निकालूँ, तो मंथली कमाई मेरी ₹90,000 नहीं बल्कि ₹90,000 + ₹75,000 (रेंटल) + लगभग ₹7,000 (गोल्ड का अनुमानित मासिक लाभ) + ₹50,000 (ऑटो) = लगभग ₹2,22,000 है, और वो भी अलग-अलग जगहों से। एंड आगे यह कमाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। इसी वजह से मैं तुम्हें इतना चिल दिखाई देता हूँ, क्योंकि देखो, अगर हमारे माइंड में यह होता है कि हम फाइनेंशियली फ्री हैं, तो किसी भी जॉब के खोने का डर हमें परेशान नहीं करता।”
सुमित ने अपनी बात खत्म की, उम्मीद है अहमद को यह एक्सप्रेस वीडियो भी काफी अच्छे से समझ आई होगी, एंड पता चला होगा कि पैसे बर्बाद करने की जगह अगर उसको सही जगह लगाकर उससे एसेट्स क्रिएट किए जाएं, तो ऐसा करना आपको फाइनेंशियली तौर पर बहुत ही ज्यादा ग्रो कर सकता है।
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