Ayurveda Day 2023 : हर दिन हर किसी के लिए आयुर्वेद…
आयुर्वेद दिवस प्रत्येक वर्ष धनवंतरी जयंती के दिन मनाया जाता है।
Ayurveda Day 2023: इस वर्ष आठवां विश्व आयुर्वेद दिवस लगभग सौ देशों में मनाया जा रहा है।
विशेषकर कोविड 19 के समय से आयुर्वेद यूनानी पर लोगों का विश्वास बढ़ा है।
इस समय विश्व में भारतीय चिकित्सा विज्ञान का डंका बढ़ा है।
हमारी दवाओं की डिमांड विदेशी बाजार में हो रही है।
कई देशों में यूनानी कालेज और अस्पताल खुल रहे हैं।
ऐसे समय में हम भारतीयों का ही अपनी पैथी को नजर अंदाज करना अशोभनीय है।
हमारी दिन रात की क्रियाओं में आयुर्वेद रचा बसा है।
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस भारतीय परिवेश में आज भी कई लोग दिन की शुरुआत
नीम के दातुन या मिसवाक से करते हैं।
वही कई लोग रोजे और उपवास में दातुन का इस्तेमाल करते हैं,
नहाने से पहले विभिन्न प्रकार के लेप का उपयोग करते हैं।
शादी से लेकर काठी तक अनेक वनस्पतियों का प्रयोग किया जाता है, घर में धूप या लोभान जलाते हैं।
जच्चा को औषधि के लड्डू खिलाए जाते हैं, बच्चों को पेट में दर्द हो तो हींग खिलाते हैं,
समय समय पर उपवास करते हैं, ये सभी आयुर्वेद ही तो है।
परंतु इस प्रकार हम कभी नहीं सोचते, हम आयुर्वेद पर गर्व नहीं करते, हम इसे प्राथमिकता नहीं देते क्यों? यदि कोविड में आयुष जोशिंदा से खासी ठीक हो सकती है तो क्यूं नहीं, क्यू?
मामूली सी खासी में एलोपैथी ओपीडी में भीड़ लग जाती हैं,
यही कारण है आज एलोपैथी दवाओं का असर कम हो रहा है।
मामूली खासी भी एक महीने तक ठीक नहीं हो रही
लोग कहते हैं बुखार ठीक नही हो रहा! क्यू? क्या आयुष 64 से बुखार नही उतरता है,
जाने ये किसने लोगों के दिमाग में डाल रखा है कि आयुर्वेदिक दवाएं धीरे-धीरे असर करती है,
आयुर्वेद में भी बुखार तुरंत ठीक करने की दवाएं हैं।
पुदीना लेते ही पेट का दर्द छू मंतर हो जाता हैं, इसलिए हमे चाहिए की हम भ्रमित न हो।
आयुर्वेद यूनानी अमृत है, यह हमारी प्रकृति के अनुरूप है
यही हमारे लिए सर्वोत्तम है, हमे इसे प्राथमिक उपचार के रूप में अपनाना चाहिए।
- सिर्फ अत्यधिक जरूरी होने पर ही केमिकल दवाएं लें।
- अपनी छोटी बड़ी तकलीफ के लिए पहले अपने नजदीकी आयुष डॉक्टर से मिलें।
- यदि किसी डॉक्टर ने सर्जरी की सलाह दी है तो पहले आयुष डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
- पुरानी बीमारियों में 4-6 माह में पूरी तरह आराम मिलता है।
आयुष ( आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी) डॉक्टर साढ़े पांच वर्ष का अध्ययन और कठिन ट्रेनिंग करने के बाद प्रेक्टिस शुरू करते हैं,
वहीं एमडी के लिए तीन वर्ष अतिरिक्त रिसर्च करना होता है,
हमारे लिए यह भी जरूरी है की केवल क्वालिफिड वैद्य या हकीम से ही इलाज करवाए।
दवा की पर्ची पर डॉक्टर का नाम या डिग्री न होने पर विचार करना चाहिए।
ऐसे लोगो के लिए सख्त कानून है।
छत्तीसगढ़ में आयुष विभाग द्वारा जनहित में अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं,
नेशनल आयुष मिशन के तहत आयुष और योगा हेल्थ और वेलनेस सेंटरों का संचालन किया जा रहा है,
पांचक्रम और थेरेपी की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
गर्भावस्था में खान पान के साथ योग और ध्यान का प्रशिक्षण दिया जा रहा है,
बच्चो के लिए स्वर्णप्राशन कराया जा रहा है,
बुजुर्गो के लिए विशेष सियान जतन क्लीनिक का आयोजन किया जा रहा है।
इनके बारे में स्वयं जानकारी प्राप्त कर दुसरो तक पहुंचाना चाहिए।
भारतीय चिकित्सा पद्धति पूर्ण रूप से साइंटिफिक और मान्यता प्राप्त है,
यही हमारी धरोहर है, इसे सिर्फ व्यापार नहीं अपितु संस्कार बनाना चाहिए।
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