क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी पर इतना पानी कहां से आया? चलिए जाने
पृथ्वी पर जा-ब-जा मौजूद पानी जीवन के लिए अनिवार्य भी है और वैज्ञानिकों की चिंता का मसला भी कि पृथ्वी पर इतना पानी आया कहां से। क्या पानी पृथ्वी के बनने के समय से मौजूद है, या पृथ्वी सूखी बनी थी और पानी से समृद्ध किसी बाहरी पिंड/पिंडों के टकराने के बाद पृथ्वी पर पानी आया?
और अब साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक नया अध्ययन यह संभावना जताता है कि पृथ्वी पर पानी यहीं उपस्थित मूल निर्माणकारी पदार्थों से आया है।
“कई वैज्ञानिक मानते आए हैं कि पृथ्वी पर पानी बर्फीली उल्काओं या धूमकेतुओं जैसे बाहरी पिंडों के पृथ्वी से टकराने के साथ आया होगा। लेकिन कुछ ग्रह विज्ञानी ऐसा नहीं मानते।”
इसलिए फ्रांस के शैल व भू-रसायन विज्ञान केंद्र की लॉरेट पियानी और उनके साथियों ने 13 दुर्लभ उल्काओं का बारीकी से अध्ययन किया और उनमें पानी की मौजूदगी के संकेत तलाशे। अध्ययन के लिए शोधर्ताओं ने ऐसी उल्काओं को चुना जिनमें पृथ्वी पर गिरने के बाद परिवर्तन नहीं हुए थे।
चूंकि हाइड्रोजन-ऑक्सीजन की अभिक्रिया से पानी बनता है इसलिए शोधकर्ताओं ने इन उल्काओं में हाइड्रोजन की मात्रा पता की। जितनी अधिक हाइड्रोजन इन पदार्थों में होगी, उतना अधिक योगदान ये पृथ्वी के पानी में दे सकते हैं।
अध्ययन में शोधकर्ताओं को सामान्य उल्काओं की तुलना में इन उल्काओं में बहुत कम हाइड्रोजन मिली।
इसलिए इसके बाद शोधकर्ताओं ने उल्कापिंडों में ड्यूटेरियम-हाइड्रोजन का अनुपात पता किया। गौरतलब है कि ड्यूटेरियम हाइड्रोजन का ही एक भारी समस्थानिक है। उन्होंने पाया कि यह अनुपात पृथ्वी के आंतरिक भाग के ड्यूटेरियम-हाइड्रोजन अनुपात के समान है, जिसमें बहुत अधिक पानी मौजूद है। इस अतिरिक्त प्रमाण से शोधकर्ताओं को लगता है कि पृथ्वी पर मौजूद पानी और पृथ्वी के निर्माणकारी पदार्थों के बीच कुछ सम्बंध है।
इस अध्ययन पर नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर की ग्रह विज्ञानी एनी पेसलीयर खुशी जताती हैं और कहती हैं कि यह मॉडल समझना आसान लगता है कि पृथ्वी पर पानी शुरुआत से ही है बजाय किसी बाहरी पिंड की मेहरबानी से।
यदि हम मानते हैं कि पृथ्वी पर पानी किसी बाहरी पिंड से आया है तो इतने अधिक पानी के लिए किसी असामान्य घटना की ज़रूरत होगी। वे यह भी कहती हैं कि हो सकता है कि बहुत सारा पानी शुरुआत से मौजूद हो और कुछ पानी बाद में आया हो।
बहरहाल पानी से जुड़े कई रहस्य अनसुलझे हैं। जैसे अब भी यह पता लगाया जा रहा है कि पृथ्वी के अंदर कितना पानी मौजूद है।
-स्रोत फीचर्स