
Earth’s Rotation Speed Increased: Will Time Table Change? Know the Impact!
वैज्ञानिकों ने एक हैरान करने वाला खुलासा किया है। हमारी पृथ्वी अब तेजी से घूम रही है। इसका सीधा असर हमारे दिनों की लंबाई पर पड़ रहा है। दिन अब छोटे होते जा रहे हैं। यह बात सुनने में अजीब लग सकती है। लेकिन वैज्ञानिक इस पर लगातार नजर रख रहे हैं। यह हमारी टाइमकीपिंग को भी प्रभावित कर सकता है।
यह एक बड़ा वैश्विक मुद्दा बनता जा रहा है।
वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा
वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी की घूर्णन गति लगातार बढ़ रही है। यह बदलाव दशकों से देखा जा रहा है। पृथ्वी की गति में उतार-चढ़ाव होता रहता है। लेकिन अब यह रफ्तार पकड़ रही है। इससे एक दिन कुछ मिलीसेकंड छोटा हो रहा है। यह बहुत सूक्ष्म बदलाव है। पर इसके बड़े निहितार्थ हो सकते हैं।
परमाणु घड़ियाँ इसे सटीकता से माप रही हैं।
पृथ्वी की गति बढ़ने के कारण
वैज्ञानिकों ने इस तेज गति के कुछ कारण बताए हैं। प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन हो सकता है। पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों से बर्फ पिघल रही है। यह पिघली हुई बर्फ द्रव्यमान का पुनर्वितरण करती है। इससे पृथ्वी तेजी से घूमने लगती है। जैसे एक आइस स्केटर अपनी बाहें अंदर खींचता है। उसकी गति बढ़ जाती है।
ठीक उसी तरह पृथ्वी पर भी असर हो रहा है।
‘नेगेटिव लीप सेकंड’ का खतरा
पृथ्वी की घूर्णन गति में बदलाव से समय पर असर होगा। परमाणु घड़ियाँ अत्यधिक सटीक होती हैं। वे पृथ्वी की गति से तालमेल बिठाती हैं। जब पृथ्वी तेज होती है, तो घड़ियाँ आगे निकल जाती हैं। इस अंतर को कम करने के लिए। वैज्ञानिकों को एक ‘नेगेटिव लीप सेकंड’ जोड़ना पड़ सकता है।
इसका मतलब है कि एक सेकंड कम किया जाएगा।
तकनीकी प्रणालियों पर बड़ा असर
एक ‘नेगेटिव लीप सेकंड’ जोड़ना अभूतपूर्व होगा। यह आईटी प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है। कंप्यूटर और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर असर पड़ेगा। यह अप्रत्याशित और गंभीर परिणाम दे सकता है। दुनिया भर में समय सिंक्रोनाइजेशन बाधित हो सकता है।
इससे कई सिस्टम फेल हो सकते हैं।
पहले क्या हुआ है?
पहले भी समय में बदलाव किए गए हैं। 1972 से अब तक 27 बार। ‘पॉजिटिव लीप सेकंड’ जोड़े गए हैं। ऐसा तब होता था जब पृथ्वी धीमी होती थी। एक सेकंड जोड़ा जाता था। लेकिन ‘नेगेटिव लीप सेकंड’ कभी नहीं जोड़ा गया। यह पहली बार होगा।
यह एक नई चुनौती पेश करेगा।
भविष्य की चुनौतियाँ
- इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन एंड रेफरेंस सिस्टम्स सर्विस (IERS) इस पर नजर रखती है।
- वे पृथ्वी के घूर्णन की निगरानी करते हैं। फिलहाल, दिन छोटे होने का प्रभाव बहुत कम है।
- पर वैज्ञानिक इसके संचयी प्रभाव से चिंतित हैं। एक ‘नेगेटिव लीप सेकंड’ जोड़ना एक जटिल कार्य है।
- इसे सावधानी से प्रबंधित करना होगा।
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