उपराष्ट्रपति ने इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया में ई-दीक्षांत समारोह को किया संबोधित
कहा – भारत ने कोरोना से संघर्ष और अर्थव्यवस्था में फिर से जान डालने का कार्य बेहद समझदारी से किया
नई दिल्ली उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने आज सभी कॉरपोरेट को सुझाव दिया कि वे जागृत होकर सचेतक (व्हीसल ब्लोइंग) व्यवस्था को प्रोत्साहित करें और सचेतकों (व्हीसल ब्लोअर्स) को पर्याप्त संरक्षण प्रदान करें।
इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के ई-दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि कॉरपोरेट शासन के सभी मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि सभी साझेदारों का विश्वास बढ़ाया जा सके।
सार्वजनिक धन की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया
नायडु ने कहा कि किसी भी प्रकार की अनियमितता को कम करने के लिए व्यवस्था विश्वसनीय और आसान होनी चाहिए। इस बात को उजागर करते हुए कि कुछ लोगों की अनियमितताओं के कारण पूरे भारतीय उद्योग का नाम-बदनाम हुआ है, उपराष्ट्रपति ने युवा कंपनी सचिवों से आग्रह किया कि वे कॉरपोरेट शासन में नैतिकता और जवाबदेही के श्रेष्ठतम मानक सुनिश्चित करें
उन्होंने कहा, “इस पेशे को एक मिशन के रूप में लिया जाना चाहिए।”
आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद जताते हुए, उन्होंने कॉरपोरेट से आग्रह किया कि वे इसमें तेजी लाने के कार्य में अग्रणी रहें।
यह करते हुए कि भारत ने नोवल कोरोनावायरस के खिलाफ संघर्ष में विकसित देशों सहित अनेक अन्य देशों की तुलना में बहुत अच्छा काम किया और अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए कदम उठाए, उन्होंने आईएमए प्रमुख सुश्री क्रिस्टालीना जार्जिवा की हाल की टिप्पणी का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने महामारी और उसके आर्थिक परिणामों से निपटने के लिए बेहद निर्णायक कदम उठाए।
अर्थव्यवस्था में एक बार फिर तेजी लाने के लिए सभी साझेदारों से सम्मिलित प्रयास करने का आह्वान करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि आईसीएसआई जैसे संस्थान अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।
यह करते हुए कि कॉरपोरेट शासन के मजबूत सिद्धांत किसी कंपनी को आगे बढ़ाने की ताकत होने चाहिए, उन्होंने कहा कि पारदर्शिता, एकजुटता और ईमानदारी हर समय बरकरार रहनी चाहिए और प्रत्येक व्यावसायिक कार्य में उसकी झलक दिखाई देनी चाहिए।
भारत के गौरवशाली इतिहास की छात्रों को याद दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।
समय की मांग है कि उनको पहचाना जाए और प्रतिभा को आगे बढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े संसदीय लोकतंत्र – भारत, जहां 130 करोड़ से अधिक लोग हैं, उसके आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की अपार संभावनाएं हैं।
इस बात पर गौर करते हुए कि ऐसे समय में जब भारत विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने की अपनी यात्रा में आगे बढ़ रहा है, कंपनी सचिव पेशेवर अर्थव्यवस्था में नई जान डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे,
उपराष्ट्रपति ने उनसे आग्रह किया कि वे हमेशा उच्चे नैतिक मूल्यों और आचार नीति को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहें। उन्होंने कहा, “आप लोगों को सच्चाई के रास्ते से कभी नहीं हटना चाहिए।”
कंपनी सचिवों को कॉरपोरेट का जागृत रखवाला बताते हुए उन्होंने कहा कि उनके लिए यह जरूरी है कि वे ईमानदार रहें और प्रबंधन के किसी दबाव में न आएं।
श्री नायडु ने कहा कि आईसीएसआई जैसे व्यावसायिक संगठनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कॉरपोरेट संस्थान न केवल पेशेवर दृष्टि से प्रतिस्पर्धी हों बल्कि कानून का पालन करने वाले भी हों।
यह कहते हुए कि कंपनी सचिवों का भारतीय अर्थव्यवस्था के परिदृश्य में महत्वपूर्ण स्थान है, उपराष्ट्रपति ने उन्हें सलाह दी कि वे सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली को अपनाकर अच्छा कॉरपोरेट शासन सुनिश्चित करें।
ऋणशोधन क्षमता और दिवालियापन कोड ने आर्थिक सुधारों का एक नया युग खोला है। उपराष्ट्रपति ने कहा, यह प्रशंसनीय है कि कंपनी सचिव दिवालिया कंपनियों के समाधान की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने जोर दिया कि केंद, राज्य और स्थानीय समुदाय सभी को देश के विकास के लिए टीम इंडिया के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि कानून संसद द्वारा बनाए जाते हैं। लेकिन उनका कार्यान्वयन स्थानीय प्रशासन पर निर्भर करता है। अतः जरूरी है कि हम सुशासन को जमीनी स्तर तक ले जाएं।
उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि आईसीएसआई द्वारा प्रशासन के लिए तैयार किये गए मॉडल कोड ऑफ गर्वननेंस ऑफ ग्राम पंचायत तथा चेरेटी गवर्नेंस का 12 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। इससे ग्राम पंचायत के स्तर पर प्रशासन को प्रभावी और कारगर बनाया जा सकेगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी सभ्यता अपने अतीत को भुलाकर तरक्की नहीं कर सकती, उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे अपने गौरवशाली अतीत और महान सभ्यतागत मूल्यों को गहराई से जाने।
जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अपने निवेश की योजना बनाते समय प्रत्येक कंपनी को पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।
इस अवसर पर तेलंगाना के गृहमंत्री मोहम्मद महमूद, आईसीएसआई के अध्यक्ष आशीष गर्ग, आईसीएसआई सचिव आशीष मोहन, संयुक्त सचिव अंकुर यादव भी मौजूद थे।