क़ुरान के अनुसार,हज़रत इब्राहिम को ख़्वाब में अल्लाह ने अपनी सबसे प्यारी चीज़ अल्लाह के लिए क़ुर्बान करने का हुक्म दिया गया। इब्राहिम अपनी सबसे प्यारी चीज़ के बारे में सोचने लगे तो उन्हे ख्याल आया फिर इब्राहिम (अ.) ने अपने प्यारे बेटे इस्माइल (अ.) से इस ख़्वाब का ज़िक्र किया। बेटे को भी बात समझ में आ गई।
बिना झिझक पिता- पुत्र जंगल कि ओर चल पड़े, शैतान ने बहुत रोका कि भला कोई अपनी औलाद को कैसे क़ुर्बान कर सकता है। इब्राहिम(अ.) ने उसे भगा दिया। फिर दोनो जंगल की तरफ बढ़ते चले गए लेकिन जब इस्माइल (अ.) को ज़िब्ह करने को हुए तो अल्लाह ने फरिश्ता भेज कर उन्हें रोक दिया। और इसके बदले एक जानवर ज़िब्ह किया गया।
इसी तरह अल्लाह नियत को परखता है। इसी समय हज किया जाता है और मक्का शहर में हज मुकम्मल होने के बाद (5वें ) दिन क़ुरबानी
की जाती है। इसी दिन या दूसरे तीसरे दिन विश्व में बाकि मुस्लमान जो हैसियत रखते हैं, क़ुरबानी करते हैं, जिसके तीन हिस्से कर के एक हिस्सा गरीबों में, एक दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है और एक हिस्सा अपने इस्तेमाल में लेते हैं।