Breaking News

Recent Posts

जीवन : पृथ्वी पर और अंतरिक्ष में

फ्रांसीसी लेखक जूल्स वर्न का 1873 का उपन्यास `अस्सी दिनों में पूरे विश्व का चक्कर` काफी प्रसिद्ध हुआ था। लेकिन तब यह एक चुनौती थी। आज लगभग डेढ़ सदी बाद कोई भी हवाई जहाज़ पर सवार होकर पूरे विश्व का चक्कर अस्सी घंटों में लगा सकता है। और आज हम …

Read More »

एक ही फंडा था- बने रहो पगला, काम करेगा अगला…।

सुबह के साढ़े दस बज चुके थे। पत्रकार हरिराम अपनी उस रजाई के अंदर ठंड से नूराकुश्ती कर रहा था, जिसमें या तो सिर आ सकता था या फिर पैर। पत्नी चिंताबाई कबसे उससे कह रही थी, कि नई रजाई ले लीजिए। हरिराम ने वादा किया था इंक्रीमेंट के बाद …

Read More »

व्यंग्य : चोखेलाल भी गरीब था, पर चोखा था

दफ़्तर में की-बोर्ड और दिमाग की दही करने के बाद जब हरिराम की खबर का संपादक ने रायता फैला दिया, तो हरिराम अपने मन ही मन उनकी माता-बहनों को याद करता हुआ दफ़्तर से झल्लाता हुआ निकला। दरअसल, दिनभर यहां-वहां, इस दफ़्तर, उस दफ़्तर भटकने के बाद कलेक्टर मांगेलाल के …

Read More »