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बच्चे को देख फटी रह गई आंखें
” *मैं उर्दू में गजल कहता हूं* ,
*हिंदी मुस्कुराती है* ।
*लिपट जाता हूं मां से और*
*मौसी मुस्कुराती है* ।।”
-मुनव्वर राणा
मां के बाद बच्चों के सबसे करीब कोई होता है , तो वह मौसी होती हैं। बच्चों और मौसी के बीच के रिश्ते को बताने के लिए इससे सुंदर पंक्तियां नहीं हो सकती । कुछ दिनों पूर्व जब *शकील रिजवी* जी जगदलपुर के पोस्ट को देखा तो ये पंक्तियां ख्याल में आने लगी ।
शकील जी के कार्य को सुनिए उन्हीं की जुबानी –
“हर शुक्रवार को नानगूर में बाजार पड़ता है । मैं ग्रामीणों का हाल-चाल जानने बाजार जरूर जाता हूं । बाजार में बैठा हुआ था , तभी बामनारास गांव का रहने वाला सोनू नाग लेक्टोजन का पैकेट लेकर पहुंचा और पूछने लगा कि इसे बच्चों को कैसे पिलाते हैं ? तब बच्चे का हाल जानने मैं भी सोनू नाग के साथ उसके घर पहुंच गया । बच्चे को देख कर आंख फटी रह गई , लगा मानो अफ्रीका के किसी अकाल पीड़ित बच्चे को देख रहा हूं । बच्चे की मां पहले ही चल बसी है और बच्चे की भी हालत बहुत गंभीर थी । तत्काल अपने चिकित्सक मित्र डॉ अनूरुप साहू से बात की और फिर तुरंत ही बच्चे को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया गया । बच्चे को चिकन पॉक्स और मलेरिया हो गया था । डॉ साहू भी सेवा के कार्य में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं । उनकी मेहनत रंग लाई और बच्चे को बचा लिया गया । और बच्चे के स्वास्थ्य में भी सुधार होने लगा और बच्चा जल्दी घर आ गया ।
यह तो सिर्फ एक बच्चा है पर ना जाने ऐसे कितने बच्चे होंगे । कोशिश सभी तक पहुंचने की है । इसीलिए इस पर एक पोस्ट शेयर की थी , जिसे पढ़कर *इटली* निवासी मित्र *विली सेन्सोन* ने मुहिम चलाई और कुपोषित बच्चों के लिए ड्राई मिल्क के लिए ₹90000 की सहयोग राशि भी इकट्ठी कर ली । उम्मीद करता हूं इससे हम और भी अधिक बच्चों को पोषण दे पाएंगे । जब भी इस बच्चे की तस्वीर को देखता हूं तो दिल को बड़ा सुकून मिलता है ।”
-शकील रिजवी
शकील जी आप नहीं जानते हैं कि आपने क्या कार्य किया है । इस तस्वीर को देख कर लाखों चेहरे पर मुस्कान आने वाली है । आप भी बच्चे की दोनो तस्वीर देखिए और मुस्कुराइए । और अगर आपने भी दिल को सुकून देने वाला कोई कार्य किया है तो मुझे जरूर बताइए।
वैभव पांडेय
जीवनदीप