Gen Z से दूर हो रही 5,500 साल पुरानी कला: रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा

Gen Z: 40% of Youth Are Losing Handwriting Skills : मोबाइल और कीबोर्ड ने छीनी लिखने की आदत
आज का जमाना डिजिटल है। हमारे आसपास स्मार्टफोन और लैपटॉप हैं। इन सब के बीच एक 5500 साल पुरानी कला खो रही है। यह कला है हाथ से लिखने की। Gen Z यानी मौजूदा युवा पीढ़ी इससे दूर हो रही है। नॉर्वे की यूनिवर्सिटी ऑफ स्टैवेंजर की एक रिसर्च ने यह खुलासा किया है। रिसर्च के अनुसार लगभग 40% युवा हाथ से लिखने में संघर्ष कर रहे हैं।
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क्या है रिसर्च का चौंकाने वाला खुलासा?
रिसर्च के मुताबिक Gen Z में हैंडराइटिंग की चमक फीकी पड़ गई है।
- करीब 40% Gen Z अब हस्तलिखित संचार में सक्षम नहीं रही है।
- वे अपनी बात को कागज पर साफ-साफ नहीं लिख पाते हैं।
- यह एक ऐसा बदलाव है। जिसकी हमने कभी कल्पना नहीं की थी।
- डिजिटल लाइफस्टाइल ने हमारी आदतें बदल दी हैं।
जहां पहले हैंडराइटिंग को लेकर होड़ होती थी। वहीं अब टाइपिंग को लेकर होड़ होती है।
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क्यों बदल गया है संचार का तरीका?
संचार का जरिया पूरी तरह से बदल गया है।
- पहले लोग पेन और कागज का इस्तेमाल करते थे।
- अब मोबाइल लैपटॉप और टैबलेट पर टाइप करते हैं।
- चैट और इमोजी का इस्तेमाल आम हो गया है।
- इससे हाथ से लिखने की जरूरत बहुत कम हो गई है।
- स्कूलों में भी टीचिंग और नोट्स डिजिटल हो गए हैं।
इस बदलाव का प्रभाव सिर्फ लेखन की सुंदरता पर नहीं है। इसका असर हमारी सोच पर भी हो रहा है।
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Gen Z को क्या है नुकसान?
यह बदलाव सिर्फ एक आदत नहीं है। इसके कई गंभीर नुकसान भी हैं।
- याददाश्त: हाथ से लिखने से याददाश्त तेज होती है। डिजिटल नोट-टेकिंग से यह प्रक्रिया कमजोर होती है।
- ध्यान: हैंडराइटिंग से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। टाइपिंग में यह क्षमता घटती है।
- विचारों की गहराई: हाथ से लिखने पर हम सोच-समझकर लिखते हैं। डिजिटल उपकरणों की तेजी ने इस प्रक्रिया को सरल कर दिया है।
इससे विचारों की गहराई कम होती है।
पुराना तरीका | नया तरीका |
पेन और कागज | मोबाइल लैपटॉप |
धीरे-धीरे लिखना | तेज टाइपिंग |
याददाश्त बढ़ाना | ऑटो-करेक्शन पर निर्भरता |
गहराई से सोचना | शॉर्ट मैसेज और इमोजी |
यह रिसर्च एक चेतावनी है। हमें इस महत्वपूर्ण कौशल को खोना नहीं चाहिए। हाथ से लिखने का अभ्यास जारी रखना जरूरी है।
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