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डरावना सच! ऑनलाइन दुनिया में भी लोग क्यों हो रहे हैं अकेले?

Loneliness Epidemic: Every Sixth Person Affected, WHO Warns!

आज हम कनेक्टिविटी के युग में जी रहे हैं। सोशल मीडिया और इंटरनेट हर जगह है। फिर भी अकेलापन एक बड़ी चुनौती बन गया है। डब्ल्यूएचओ (WHO) की एक नई रिपोर्ट बताती है। दुनिया में हर छठा व्यक्ति अकेलेपन से जूझ रहा है। यह एक गंभीर वैश्विक समस्या है। यह हमारी सेहत के लिए बड़ा खतरा है।



अकेलापन: एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा

डब्ल्यूएचओ ने अकेलापन को एक बड़ा खतरा माना है। यह उतना ही घातक है जितना रोज 15 सिगरेट पीना। या फिर मोटापे जितनी खतरनाक स्थिति। इससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। डिमेंशिया, चिंता और डिप्रेशन भी हो सकता है। यह एक छिपी हुई महामारी की तरह है। इस पर तुरंत ध्यान देना जरूरी है।

कौन हो रहा है अकेलेपन का शिकार?

अकेलापन किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। लेकिन कुछ समूह इससे ज्यादा जूझ रहे हैं।

  • वृद्ध लोग: बढ़ती उम्र में वे अक्सर अकेला महसूस करते हैं।
  • युवा: 15-24 आयु वर्ग के युवा सबसे अधिक प्रभावित हैं। सोशल मीडिया के बावजूद वे अकेलापन महसूस कर रहे हैं।

यह दर्शाता है कि डिजिटल कनेक्शन असली संबंध नहीं बना पा रहे।



WHO की नई पहल और समाधान

विश्व स्वास्थ्य संगठन इस समस्या को गंभीरता से ले रहा है। उन्होंने अकेलेपन पर एक अंतरराष्ट्रीय आयोग शुरू किया है।

  • आयोग के अध्यक्ष: अमेरिकी सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति हैं। अफ्रीकी संघ युवा दूत चिडो मपेम्बा भी इसमें शामिल हैं।
  • लक्ष्य: यह आयोग वैश्विक एकजुटता को बढ़ावा देगा। यह अकेलेपन को परिभाषित करेगा। साथ ही इसके समाधान भी सुझाएगा।
  • कार्यकाल: यह आयोग अगले तीन साल तक काम करेगा।

इस आयोग का उद्देश्य इस वैश्विक खतरे से निपटना है। वे लोगों को बेहतर जीवन देने की कोशिश कर रहे हैं। अब इस गंभीर मुद्दे पर वैश्विक कार्रवाई की जरूरत है।

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