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‘हर मेड़ पर पेड़’ से बढ़ रही आमदनी…

रायपुर स्मार्ट सिटी. वर्ष 2106-17 के दौरान ‘हर मेड़ पर पेड़’ के लक्ष्य के साथ तैयार इस योजना के तहत 50 करोड़ रुपये के केंद्रीय हिस्से का बजट जारी किया गया है। किसानों की आय बढ़ाने और जलवायु अनुकूलता के लिए पहली बार राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति तैयार की गई है। अब तक 14 राज्य अपने परिवहन नियमों में संशोधन कर इस योजना में शामिल हो गए हैं।

योजना
परंपरागत कृषि विकास योजना

हर खेत के मेड़ पर पेड़, परती भूमि पर पेड़ तथा इंटर क्रॉपिंग में पेड़ लगाने के उद्देश्य से पहली बार कृषि वानिकी उपमिशन” क्रियान्वित किया गया है।

हरियाली
बड़े काम की है हरियाली

इस योजना के प्रति किसानों के बढ़ते रुझान को देखते हुए इस बार के बजट में राशि बढ़ा दी गई है।

वर्ष 2017-18 के बजट में इसे बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये किया गया है।

 

हर मेड़ पर पेड़
हर मेड़ पर पेड़ योजना भारत सरकार
  • जोखिम, सुरक्षा एवं सहायता

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। यह किसानों की आय का सुरक्षा कवच है। खरीफ़ व रबी फसल में अबतक की सबसे न्यूनतम दर तय की गई है, जो क्रमशः अधिकतम 2 प्रतिशत और 1.5 प्रतिशत है । इसमें खड़ी फसल के साथ-साथ बुवाई से पहले और कटाई के बाद के जोखिमों को भी शामिल किया गया है। इतना ही नहीं, नुकसान के दावों का 25 प्रतिशत भुगतान भी तत्काल ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा है। इस योजना में किसानों को फसल नुकसान के त्‍वरित भुगतान हेतु उपज के अनुमान के लिए ड्रोन तकनीक तथा फसल कटाई के लिए स्‍मार्ट फोन जैसी नई तकनीकों  का उपयोग भी कई राज्यों में प्रारम्‍भ किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त किसान सुविधा के मद्देनज़र इस खरीफ मौसम से कस्टमर सर्विस सेंटर एवं बैंक आनलाइन जैसी नई तकनीकी सुविधाओं के माध्यम से प्रीमियम राशि जमा कराने का भी प्रावधान किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान  के राहत नियमों में भी सरकार ने बदलाव किए हैं। अब केवल 33 प्रतिशत फसल नुकसान होने पर भी सरकार अनुदान दे रही है। साथ ही अनुदान की राशि को 1.5 गुना बढ़ा दिया गया है।

 

  • अन्य गतिविधियां
  1. बागवानी : बागवानी का ‘समेकित विकास मिशन’ किसानों की आमदनी दोगुनी करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके लिए बेहतर रोपण साम्रगी, उन्नत बीज और प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन, हाई डेनसिटी प्लांटेशन, रिजुविनेंशन, प्रिसिजन फार्मिंग जैसे कदम उठाए गये हैं।
  2. एकीकृत फार्मिंग (Integrated farming) : हमारी सरकार एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) पर भी जोर दे रही है। खेती के साथ-साथ बागवानी, पशुधन, मधुमक्खी पालन आदि पर ध्यान दिया जा रहा है। इस योजना से किसानों की ना सिर्फ निरंतर आय में वृद्धि होगी बल्कि सूखा, बाढ़ या अन्य गंभीर मौसमी आपदाओं के प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा ।
  • श्‍वेत क्रान्‍ति : राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन से देशी नस्‍लों को संरक्षण मिल रहा है। साथ ही नस्लों में आनुवंशिक (hereditary) संरचना में भी सुधार किया जा रहा है। जिससे दूध उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकार डेयरी प्रसंस्‍करण और अवसंरचना (Infrastructure) विकास निधि स्‍थापित करने जा रही है। साथ ही डेयरी उद्यमिता विकास स्कीम (डीईडीएस) से स्वरोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। श्‍वेत क्रांति में तेजी लाई गई है ताकि किसानो की आय में वृद्धि हो सके ।
  1. नीली क्रांति : यह समेकित मात्‍स्‍यिकी विकास व प्रबंधन की व्‍यवस्‍था वाली नई पहल है जिसमें अंतर्देशीय मात्‍स्‍ियकी, जल कृषि, समुद्री मछली, मैरीकल्‍चर व राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा किए गए कार्यकलापों के अलावा डीप सी फीशिंग की भी कार्य योजना प्रारंभ की गई है।
  2. कृषि वानिकी : हर खेत के मेड़ पर पेड़, परती भूमि पर पेड़ तथा इंटर क्रॉपिंग में पेड़ लगाने के उद्देश्य से पहली बारकृषि वानिकी उपमिशन” क्रियान्वित किया गया है।
  3. मधुमक्खीपालन विकास : बड़ी संख्‍या में किसानों / मधुमक्खीपालकों को मधुमक्खीपालन में प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही मधुमक्खीपालकों और शहद समितियों // फर्मों कंपनियों  / मधुमक्खी कॉलोनियों के साथ पंजीकरण किया जा रहा है। प्रत्येक राज्य में एक रोल मॉडल समेकित मधुमक्खीपालन विकास केंद्र (आईबीडीसी) की स्थापना की जा रही है।
  • रूरल बैकयार्ड पोल्‍ट्री डेवलपमेंट: इसके तहत गरीब मुर्गीपालक परिवारों कों पूरक आय (Supplemental Income) एवं पोषण संबंधी सहायता प्रदान की जा रही है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत भेड़, बकरी, सूकर एवं बत्तख पालकों में अपनी आय बढ़ाने हेतु अवसर प्रदान करते हुए उनमे ज़रूरी जागरूकता भी पैदा की जा रही है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से जनहित में जारी

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