इन संयोगों में देवी, देवताओं का पूजन और स्वर्ण, रजत धातुओं की खरीदारी करना विशेष फलदायी होगा।
इस बार पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व पर प्रतिदिन विविध शुभ संयोग बन रहा है।
दीपोत्सव का शुभारंभ 10 नवंबर को धनतेरस से होगा और 15 नवंबर को भैया दूज तक श्रद्धा उल्लास से पर्व मनाया जाएगा।
धनतेरस, भगवान धन्वंतरि पूजन 10 नवंबर को
ज्योतिषाचार्य डा. दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार 10 नवंबर को धनतेरस पर्व मनाया जाएगा। इसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर एक ओर जहां निरोगी रहने की कामना करते हुए आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि का पूजन करने की परंपरा है, वहीं दूसरी ओर इस दिन स्वर्ण, रजत एवं अन्य धातुओं की खरीदारी करने से घर में सुख, समृद्धि में वृद्धि होने की मान्यता है।
धनतेरस में सुबह से रात्रि तक खरीदारी करना शुभ होता है। त्रयोदशी तिथि दोपहर 12:35 बजे शुरू होगी और 11 नवंबर को दोपहर 1:57 बजे तक रहेगी।
रूप चतुर्दशी, काली चौदस और दीपावली 12 नवंबर को
दीपोत्सव का दूसरा दिन रूप चतुर्दशी और काली चौदस के रूप में मनाया जाता है। 12 नवंबर को चतुर्दशी तिथि पर शरीर पर औषधियुक्त उबटन लगाकर स्नान करने से रूप में निखार आता है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का संहार किया था। श्रीकृष्ण के शरीर पर लगे रक्त को साफ करने और रूप को निखारने के लिए इस दिन औषधियुक्त उबटन लगाकर स्नान कराया गया था। इसे ही रूप चौदस कहते हैं। इसके अलावा चतुर्दशी तिथि को काली चौदस भी कहा जाता है।
देवी काली और हनुमानजी की पूजा करने से मनवांछित फल की होगी प्राप्ति
चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर को दोपहर 1.57 बजे से 12 नवंबर को दोपहर 2.44 बजे तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि के स्नान को महत्व दिया जाता है, इसलिए 12 नवंबर को चतुर्दशी का स्नान किया जाएगा।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है। 12 नवंबर को अमावस्या तिथि दोपहर 2.44 बजे से 13 नवंबर को दोपहर 2.56 बजे तक है। प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का महत्व होने से 12 नवंबर की रात्रि में लक्ष्मी पूजा की जाएगी।
सोमवती अमावस्या 13 नवंबर को
13 नवंबर को सोमवार के दिन अमावस्या होने से सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। 13 नवंबर को दोपहर तक अमावस्या तिथि है, उदया तिथि पर अमावस्या होने से पवित्र नदियों में सोमवती अमावस्या का स्नान करने की परंपरा निभाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा, बाल दिवस 14 नवंबर
दीपोत्सव पर्व के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाएगी। 14 नवंबर को घर-घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजन करेंगे। साथ ही गो माता को खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। यादव समाज के लोग गोवर्धन पूजा को उत्साह से मनाते हैं। 14 नवंबर को ही बच्चों की खुशियों के लिए बाल दिवस मनाया जाएगा।
भैया दूज 14-15 नवंबर को
दीपोत्सव पर्व का समापन पांचवें दिन भैया दूज मनाने के साथ होगा। बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। मान्यता है कि यमराज इस दिन अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे। भाई को घर आया देखकर यमुना प्रसन्न हुई थी।
यमराज ने बहन को वचन दिया था कि इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगाएं तो उनका मंगल होगा। अकाल मृत्यु नहीं होगी। 14 नवंबर को दोपहर 2.36 बजे से 15 नवंबर को दोपहर 1.47 बजे तक द्वितीया तिथि है। दोनों दिन भैया दूज मनाया जाएगा।