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हज़रत सैय्यद मख़्दूम अशरफ जहाँगीर सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह पार्ट-5

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सैय्यद अशरफ़ जहांगीर अशरफ़ सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह की करमते

यूं तो आपकी बेशुमार करामते है जिनमें से सिर्फ़ चंद करामतो का ही ज़िक्र यहां किया जा रहा है
(1)
🐈 कमाल जोगी की बिल्ली

🐈 कमाल जोगी की एक बिल्ली थी जो कभी कभी हज़रत महबूबे यज़दानी मख़्दूम अशरफ जहांगीर सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह की नज़रे मुबारक से होकर गुज़रा करती थी, आपने एक मरतबा फरमाया के कमाल जोगी की बिल्ली को लाओ । उस बिल्ली को लाया गया । उस वक़्त हज़रत ने मारिफें तरीकत और हक़ाइके मारीफ़त पर बयान करने शुरु किए । अभी थोड़ा ही बयान हुआ था के उस बिल्ली के अंदर भी तगय्युर (बदलाव) पैदा हुआ और उन कलीमात का असर ज़ाहिर होने लगा और वो बेखुद हो गई ! और एक पहर तक इसी तरह बेखुद रही और जब होश में आई तो हज़रत मखदूमे पाक के पाँव चूमने लगी और आप के पैरो पर लौटने लगी। फ़िर वो बिल्ली असहाबे मजलिस और हाज़िरीने महफ़िल के इर्द गिर्द चक्कर लगाने लगी ।

🐈 अब उसकी ये हालत हो गई थी के जब भी आरिफाना गुफ्तगू का ज़िक्र हज़रत फरमाते तो वो बिल्ली मजलिस से कही दूर नहीं जाती थी बल्कि मजलिस में मौजूद रहती थी ।

🐈जब ख़ानक़ाह में मेहमान आते तो मेहमान की तादाद के बराबर वो म्याऊँ ••• म्याऊँ ••• करके खादिमो को बता देती के मेहमानो की तादाद इतनी हैं ! लंगर के तक़सीम के वक़्त दुसरे लोगो के बराबर उसे भी हिस्सा मिलता था ! कभी ऐसा भी होता था के उस बिल्ली को बाज़ असहाब को बुलाने के लिए भेज दिया जाता तो वो उस शख्श के पास आकर गुर्राती और लोग समझ जाते के हज़रत ने बुलवाया हैं !

🐈एक दिन हज़रत की ख़ानक़ाह में चंद दरवेश सफ़र से आए ! बिल्ली ने आदत के मुताबिक़ म्याऊँ ••• म्याऊँ ••• किया लेकिन जब बावरची खाने से खाना भेजा गया तो एक शख्स ज़्यादा था ! यानी एक का खाना कम था ! सय्यद मख़्दूम अशरफ जहाँगीर सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह ने बिल्ली की तरफ मुतवज्जे होकर फ़रमाया :

“आज ये गलती क्यों की ?

बिल्ली ये सुनकर फ़ौरन बाहर गई और उन नौ रशिदा (आने वाले) मेहमानो में पहुंची और उनमे से हर एक को सूंघना शुरू किया ! इस तरह उसने हर एक को सुंघा ! लेकिन जब उन दरवेशों के हल्के को सुंघा तो उनमे से एक दरवेश के जानू पर बेठ कर पेशाब कर दिया ! वो दरवेश उठा और फ़ौरन हज़रत के पैरो में गिर पड़ा और अर्ज़ करने लगा के बारह साल से मैं दहरिया (नास्तिक) हूं और इस्लामी लिबास में आकर ज़माने के बड़े बड़े सूफियों को देखता हूँ, इस निय्यत से के कोई मेरे निफ़ाक़ को ज़ाहिर कर दे ताकि मैं मुसलमान हो जाऊं !

🐈किसी ने उस भेद को ज़ाहिर न किया लेकिन बयाबाने मारिफ़त के शेर हज़रत क़ुदवतुल कुब्रा महबूबे यज़दानी रहमतुल्लाहि अलैहि की फ़ैज़याफ्ता बिल्ली ने उस राजे बर्ज़स्ता को खोल दिया ! सुब्हान अल्लाह

कितना बड़ा हक़्क़ तआला का फ़ज़ल हैं हज़रत क़ुदवतुल कुबरा पर के आप के असर से एक बिल्ली का ये मरतबा हो जाए के वो हक़्क़ और बातिल को जुदा करने वाली हो जाए ! फिर उस मौके का क्या कहना के नज़रे कीमिया का असर किसी ख़ाकसार पड जाए !

जिनकी निगाह ख़ाक को करती हैं कीमिया
ए काश ! हम में नज़र करे ऐसे औलिया !

🐈उस दहेरिया ने कहा :

“अल्लाह जिसे चाहता हैं हिदायत देता हैं, वो बड़ा मेहरबान है उसका कोई सानी नहीं” आज मैं हज़रत क़ुदवतुल कुब्रा के हाथ पर इस्लाम लाता हूँ ।

हज़रत ने फरमाया मुबारक हो !

इस्लाम क़बूल करने के बाद उसने हज़रत से बैअत कर ली ।

🐈हज़रत क़ुदवतुल कुबरा के विसाल के बाद चन्द साल ये बिल्ली ज़िंदा रही। एक बार ख़ादिमें मतबख़ (बावरची खाने के ख़ादिम) ने देग में दूध गरम करने के लिए चढ़ाया ताकि मेहमानो के लिए खीर तैयार करे । इतने में एक काला नाग दूध की देग में गिर गया और मर गया ! ये बिल्ली नाग का देग में गिरना देख चुकी थी । चुनांचे वो देग के इर्द गिर्द चक्कर लगाती रही और बेक़रार फिरती रही ! ख़ादिमें मतबख उस बेक़रारी का सबब न समझ सका और हर बार वो बिल्ली क़रीब आती तो उसे झिड़क देता और भगा देता ! जब बिल्ली ने देखा के ख़ादिम किसी तरह उसकी बात नहीं समझ पा रहा हैं तो वो खुद देग में कूद गई ! और अपनी जान दे दी !

जब लोगो ने उस देग में से खीर को फेंका तो एक काला सांप उसमें से निकला उस वक़्त हज़रत सय्यद नूरुल ऐन रहमतुल्लाहि अलैहि ने फरमाया के देखो इस बिल्ली ने खुद को दरवेशों पर क़ुर्बान कर दिया !

💖 जब जानवर भी तुम पर हुआ करते है निसार_ इंसान कुछ नहीं हैं जो तुम पर न हो फ़िदा_💖

📗 (लताईफे अशरफ़ी, जिल्द-1)

 क्रमशः 

🖊️ एड. शाहिद इक़बाल ख़ान,
चिश्ती – अशरफी

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