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मिट्टी का छुपा खजाना: माइकोराइज़ल फफूंद क्यों हैं Future के लिए जरूरी?

धरती की सबसे उपजाऊ मिट्टी वही है। जिसमें जीवित सूक्ष्मजीवों का संतुलन होता है। इनमें बैक्टीरिया, केंचुए, नेमाटोड के साथ-साथ, फफूंद भी शामिल हैं। विशेष रूप से माइकोराइज़ल फफूंद, जो 80% से अधिक पौधों के साथ, सहजीवी संबंध में रहते हैं। वे पोषक तत्वों के चक्रण, और कार्बन संग्रहण में अहम भूमिका निभाते हैं। फिर भी, ये अदृश्य पारिस्थितिक नायक, आज भी जलवायु और संरक्षण नीतियों से, लगभग गायब हैं। इनका संरक्षण हमारे Future के लिए आवश्यक है।




यह हमारे Future की एक बड़ी चुनौती है।

अंडरग्राउंड एटलस से नए तथ्य

सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ अंडरग्राउंड नेटवर्क्स (SPUN) द्वारा, “द अंडरग्राउंड एटलस” तैयार किया गया है। यह दुनिया भर में माइकोराइज़ल फफूंद की जैव विविधता का, पहला व्यापक मानचित्र है। यह एटलस 130 देशों से, जुटाए गए 25,000 भू-स्थानिक मृदा नमूनों, और 2.8 अरब डीएनए अनुक्रमों के माध्यम से, तैयार किया गया है। यह हमारे Future के लिए महत्वपूर्ण डेटा है।

यह Future के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

जैव विविधता हॉटस्पॉट की पहचान

इस अध्ययन से पता चला, कि माइकोराइज़ल फफूंद के 90% से अधिक, जैव विविधता हॉटस्पॉट संरक्षित क्षेत्रों के, बाहर स्थित हैं। ब्राजील का सेराडो, दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय वन, और पश्चिम अफ्रीका के गिनी वन, AM फफूंद के लिए हॉटस्पॉट माने गए हैं। जबकि साइबेरिया और कनाडा के बोरियल वन, पश्चिमी अमेरिका के शंकुधारी वन, EcM फफूंद के लिए प्रमुख क्षेत्र हैं। यह Future के लिए महत्वपूर्ण हॉटस्पॉट हैं।

यह Future के लिए जैव विविधता का संकेत है।

फफूंद की भूमिका और खतरा

माइकोराइज़ल फफूंद न केवल पौधों को, फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व ग्रहण करने में मदद करती हैं। बल्कि पौधों की जड़ों से निकलने वाले CO₂ को अवशोषित करके, हर साल लगभग 13 अरब टन कार्बन संग्रहित करती हैं। यह वैश्विक जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन का, एक तिहाई है। जब इन फफूंदों का पारिस्थितिक तंत्र, बाधित होता है, तो फसलें असफल होती हैं। वन पुनर्जनन धीमा हो जाता है, और सतही जैव विविधता बिखरने लगती है। इनका संरक्षण हमारे Future के लिए महत्वपूर्ण है।

यह Future के लिए एक बड़ा खतरा है।

नीति में एकीकरण की आवश्यकता

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने, मृदा जैव विविधता की निगरानी, और नीति में एकीकरण की दिशा में, महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। फिर भी, अभी मानकीकृत निगरानी प्रोटोकॉल, और कार्यान्वयन रणनीतियों की कमी, बनी हुई है। Future के लिए ऐसी नीतियों का होना आवश्यक है।

यह Future के लिए नीतिगत कदम हैं।

भविष्य की दिशा

  • “द अंडरग्राउंड एटलस” और FAO की GLOBSOB पहल, यह स्पष्ट करती हैं।
  • मृदा जैव विविधता — विशेष रूप से माइकोराइज़ल फफूंद — पारिस्थितिकी और जलवायु नीतियों का, अभिन्न हिस्सा होनी चाहिए।
  • यह न केवल पौधों की सेहत, और खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी है।
  • बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में भी, सहायक सिद्ध हो सकती है। यह हमारे Future की दिशा है।

यह Future के लिए एक स्पष्ट रास्ता है।




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