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International news : टाटा ग्रुप, एयर इंडिया खरीदने की दौड़ में हुआ शामिल

नई दिल्ली टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए अभिरुचि पत्र जमा करा दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टाटा ग्रुप ने बीते सप्ताहांत एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगर यह सौदा हो जाता है तो एयर इंडिया की करीब 53 साल बाद घर वापसी हो जाएगी। एयर इंडिया की शुरुआत टाटा ग्रुप ने ही की थी, जिसे बाद में सरकारी कंपनी बना दिया गया था।

जानकारों के अनुसार टाटा ने इसके लिए एयर एशिया इंडिया का इस्तेमाल किया है, जिसमें टाटा संस की बहुलांश हिस्सेदारी है।
इन्होंने भी लगाई है बोली
एक तरफ टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया को खरीदने की इच्छा दिखाई है, वहीं एयर इंडिया के 200 कर्मचारियों के भी ईओआई सौंपने की खबरें सामने आ रही हैं। एयर इंडिया को खरीदने के लिए ईओआई सौंपने की समयसीमा अब खत्म हो चुकी है। वहीं स्पाइसजेट के ओनर अजय सिंह की भी एयर इंडिया को खरीदने में रुचि हैं, लेकिन कंपनी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

1953 में हुआ था एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण
देश के उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कुछ समय पहले कहा था कि अगर एयर इंडिया का निजीकरण नहीं हुआ, तो इसे बंद करना पड़ सकता है। वहीं टाटा ग्रुप ने 1932 में टाटा एयर लाइंस के नाम से एयर इंडिया को शुरू किया था, लेकिन भारत सरकार ने 1953 में इसी एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। 1932 की है जेआरडी टाटा ने भारत के एविएशन इतिहास की पहली कमर्शियल फ्लाइट उड़ाई।

यह उड़ान कराची से शुरू हुई थी और बंबई के जुहू में इसे उतारा गया था। इसके साथ ही यह भारत की पहली एयर लाइंस बन गई थी। इसे शुरू करने वाले भारत रत्न जेआरडी टाटा थे। शुरुआत में टाटा एयर लाइंस को मुंबई के जुहू के पास एक घर से संचालन किया गया था। लेकिन बारिश के समय में यहां के रनवे पर पानी भर जाता था, जिसके बाद जेआरडी पूना से विमान को संचालित करने लगे थे।

विश्वयुद्ध के बाद बदला था नाम
दूसरे विश्वयुद्ध के वक्त विमान सेवाएं रोक दी गई थीं। जब फिर से विमान सेवाएं बहाल हुईं तो 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर एयर इंडिया लिमिटेड किया गया था।

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