AllScienceWorld

Jupiter Saved Earth: बृहस्पति ग्रह ने पृथ्वी को सूर्य में समाहित होने से रोका

वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा: बृहस्पति के बिना पृथ्वी का अस्तित्व संभव नहीं था, कैसे रची सौरमंडल की संरचना

Jupiter Saved Earth: बृहस्पति ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। वैज्ञानिकों के नए शोध ने एक हैरान करने वाला तथ्य प्रस्तुत किया है। इस शोध के अनुसार, बृहस्पति ने पृथ्वी के अस्तित्व में आने से पहले ही उसकी रक्षा की थी। राइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि बृहस्पति ने पृथ्वी को सूर्य में समाहित होने से रोक दिया था। बृहस्पति के कारण ही पृथ्वी, शुक्र और मंगल ग्रह बन पाए। इन ग्रहों का निर्माण होना संभव हो सका। बृहस्पति ने हमारे पूरे भीतरी सौरमंडल की संरचना तय की थी। अगर बृहस्पति नहीं होता, तो पृथ्वी आज जैसी नहीं होती।




Plastic खाकर पानी बनाता है ये रहस्यमयी फंगस! क्या खत्म होगा यह प्रदूषण?

बृहस्पति ने पृथ्वी को कैसे बचाया? (Jupiter Saved Earth)

वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग करके इस रहस्य को हल किया है। शोध में पता चला कि शुरुआती सौरमंडल में बृहस्पति का विकास बहुत तेजी से हुआ था। इसकी तेज वृद्धि ने सूर्य के चारों ओर मौजूद गैस और धूल के प्रवाह को रोक दिया। यह प्रवाह भीतरी सौरमंडल की तरफ आ रहा था।

बृहस्पति के विशाल गुरुत्वाकर्षण ने डिस्क में हलचल पैदा की। इसने गैस को अस्त-व्यस्त कर दिया, जिससे वलय और अंतराल बन गए। ये वलय एक प्रकार के ‘कॉस्मिक ट्रैफ़िक जाम’ की तरह काम करते थे। इसने छोटे कणों को सूर्य की ओर समाहित होने से रोका। बृहस्पति ने इस तरह भीतरी ग्रहों के निर्माण के लिए सामग्री को बचाकर रखा।

75 वर्ष पुराना ‘जूते का डिब्बा’ बना खजाना! जर्मनी को मिला ‘Secret’ खनिज

Jupiter Saved Earth: सौरमंडल की वास्तुकला तय करना

जैसे-जैसे बृहस्पति का आकार और द्रव्यमान बढ़ता गया, उसने डिस्क में एक विशाल अंतर बना दिया। इस अंतर ने सौरमंडल को भीतरी और बाहरी क्षेत्रों में बाँट दिया। यह अंतर सामग्री को एक दूसरे से मिलने से भी रोकता था। इस कारण उल्कापिंडों में पाए जाने वाले तत्वों के आइसोटोपिक पदचिह्न सुरक्षित रह गए।

बृहस्पति ने केवल सबसे बड़ा ग्रह बनकर ही संतोष नहीं किया। बृहस्पति ने पूरे भीतरी सौरमंडल की वास्तुकला तय की। इसने युवा ग्रहों के अंदर की ओर आने को भी दबा दिया। अन्य ग्रह प्रणालियों के विपरीत, हमारे बढ़ते ग्रह सूर्य की ओर गिरने के बजाय स्थलीय क्षेत्र में फंसे रहे। यहीं पर पृथ्वी और उसके पड़ोसियों का निर्माण हुआ। बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण ने भीतरी ग्रहों की कक्षाओं को स्थिर बनाए रखा।

पेड़ों के बिना भी ज़िंदा हैं लोग, जानें वो Country जहाँ Gold से भी महँगी है हवा

उल्कापिंडों के गठन का रहस्य

इस शोध से एक और पुराना रहस्य सुलझ गया है।

यह रहस्य कुछ आदिम उल्कापिंडों के देर से बनने से जुड़ा था।

वैज्ञानिक इन्हें चोंड्राइट उल्कापिंड (Chondrites) कहते हैं।

ये सबसे पहले ठोस पिंडों के बनने के 2 से 3 मिलियन साल बाद बने।

बृहस्पति ने ही ऐसी स्थितियाँ बनाईं, जिससे उनका देर से गठन हुआ।

ये चोंड्राइट आज भी पृथ्वी पर गिरते हैं। इनमें सौरमंडल के शुरुआती रासायनिक रिकॉर्ड सुरक्षित हैं।

खगोलविद् अब युवा तारा प्रणालियों में वलय और अंतराल की ऐसी ही संरचनाएँ देखते हैं।

यह दर्शाता है कि विशाल ग्रह अपने परिवेश को बनाते समय आकार देते हैं।

बृहस्पति की शुरुआती वृद्धि ने एक ऐसी निगाह छोड़ दी है।

जिसे हम आज भी पृथ्वी पर गिरने वाले उल्कापिंडों में पढ़ सकते हैं।

बृहस्पति सचमुच पृथ्वी का रक्षक और हमारे सौरमंडल का वास्तुकार है।




Space Mystery : मिल्की-वे में खोजा गया 4 तारों वाला अनोखा तंत्र

इस लिंक के जरिए आप Simplilife के whatsapp group से जुड़ सकते हैं https://chat.whatsapp.com/KVhwNlmW6ZG0PtsTxJIAVw

Follow the Simplilife Info channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va8mk3L6LwHkXbTU9q1d

Show More

Related Articles

Back to top button