National news : कल्पना चावला के बाद, दूसरी भारतीय महिला श्रीशा जाएंगी अंतरिक्ष में
सभी के सपनों में चांद तारे आते हैं, लेकिन चंद लोग होते है, जो तारों में जाने का सपना देखते हैं। उन्हीं में से एक नाम है भारतीय मूल की श्रीशा बांदला का। अमेरिकी अंतरक्षि यान कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक (Virgin Galactic) के रिचर्ड ब्रेनसन (Richard Branson) समेत छह लोग अंतरिक्ष की यात्रा करने जाएंगे। इन्हीं छह लोगों में भारतीय मूल की श्रीशा बांदला का नाम भी शामिल है।
इनकी ये उड़ान 11 जुलाई को न्यू मैक्सिको से होगी। श्रीशा का काम रिसर्च से संबंधित होगा। इस यात्रा पर जाने वाले छह लोगों में दो महिलाएं हैं। श्रीशा के अलावा एक अन्य महिला बेश मोसिस हैं। 34 साल की श्रीशा एक एरोनॉटिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने इंडियाना के पर्ड्यू विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की है। कल्पना चावला के बाद वह भारत में जन्मीं दूसरी ऐसी महिला हैं, जो अंतरिक्ष में जाएंगी, जबकि वह अंतरिक्ष में जाने वाली चौथी भारतीय होंगी।
उन्होंने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा है, ‘मुझे यूनिटी22 क्रू और उस कंपनी का हिस्सा होने पर सम्मानित महसूस हो रहा है, जिसका मिशन सभी के लिए अंतरिक्ष को सुगम बनाना है। मीडिया में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, श्रीशा बांदला का जन्म भारत के आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ था और वह टेक्सास के ह्यूसटन में पली बढ़ी हैं। उनके दादा बांदला रगहिया एक कृषि विज्ञानी हैं। उन्होंने अपनी पोती की इस उपलब्धि पर कहा है, ‘मैंने हमेशा उसमें कुछ बड़ा हासिल करने का उत्साह देखा है और आखिरकार वो अपना सपना पूरा करने जा रही है।
मुझे विश्वास है कि वह इस मिशन में सफलता हासिल करेगी और पूरे देश को गर्व महसूस कराएगी।’ श्रीशा के पिता डॉक्टर मुरलीधर एक वैज्ञानिक और अमेरिकी सरकार में सीनियर एग्जीक्यूटिव सर्विसेज के सदस्य हैं। रिचर्ड ब्रेनसन ने गुरुवार शाम घोषणा करते हुए बताया था कि उनकी अगली अंतरिक्ष उड़ान 11 जुलाई को होगी, जिसमें कुल छह सदस्य हिस्सा ले रहे हैं। इनका अंतरिक्ष यान न्यू मैक्सिको से उड़ान भरेगा।
क्रू के सभी सदस्य कंपनी के कर्मचारी हैं। वहीं अंतरिक्ष तक जाने वाली ये वर्जिन गैलेक्टिक की चौथी उड़ान है। ब्रेनसन की घोषणा से कुछ घंटे पहले जेफ बेजोस ने भी अंतरिक्ष यात्रा को लेकर अहम घोषणा की थी। वह 20 जुलाई को अंतरिक्ष में जाएंगे उनके साथ एयरोस्पेस जगत की एक महिला भी होंगी, जिन्होंने इस यात्रा के लिए 60 साल तक इंतजार किया है।