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रायपुर, स्मार्ट सिटी। करोड़ों दान करने से कही बेहतर है अपना कुछ पल जरूरतमंदों के साथ बिताया जाए और उनकी तकलीफों को करीब से समझकर उन्हें दूर करने का प्रयास ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। दरअसल आज हम आपको एक ऐसे हकीकत से रूबरू कराने जा रहे हैं जो आपको जानना जरूरी है।
मित्र रविन्द्र क्षत्री की जुबानी…
आज दोपहर रायपुर के गढ़कलेवा (देसी व्यंजनों के लिए उत्तम जगह) में खाना खाने बैठा था मैं तभी एक बच्चे ने करीब आ कर भीख मांगी, कुछ दे दो पैसा ..
मैंने पूछा क्यों पैसे का क्या करोगे? जवाब मिला- खाना खाऊंगा, भूख लगी है।
उसका जवाब मिलते ही लगा कि एक कहानी फिर मुझे दस्तक दे रही है। उसे प्यार से करीब बुलाकर उसके भीतर झाँकने की कोशिश की मैंने।
बार बार पूछने पर बताया कि वह स्कूल नहीं जाता है। माँ भीख मांगने निकल जाती है। शाम को घर वापस आती है। पूछने पर बेटा तुम क्यों स्कूल नहीं जाते हो? इस बात का वह जवाब नहीं दे पा रहा था।
पर मैं भी जिद्दी पास बुलाकर उसे बहला कर पूछा, उसने बताया कि स्कूल में मैडम ने भगा दिया है। अच्छा बेटा मैडम ने क्यों भगाया है तुम्हे? उसने कहा भैया मैं पैंट में पेशाब कर देता हूँ। इसलिए सब चिढ़ाते हैं और मैडम चिल्लाती है।
मैंने कहा भाई सुसु तो मुझे भी आती है, तो हम सुसु करने बाहर बाथरूम में चले जाते हैं, तुम क्यों नहीं जाते हो ..उसने कहा भैया मुझे पता नहीं चलता है, जब सुसु होती है तो, सुसु धीरे-धीरे निकलता रहता है, लेकिन मुझे पता नहीं चलता.. मैंने सोचा अब ये क्या माजरा है..?
आखिर ऐसा क्यों होता है बेटा..उसने कहा कि पेट का आपरेशन हुआ है। कुछ रोग हो गया था मुझे… और अभी एक आपरेशन होना बचा है। माँ कहती है जब भीख मांगने से पैसा इकठ्ठा हो जाएगा..तब दोबारा तेरा डॉक्टर को दिखा कर आपरेशन करा दूंगी। फिर ये जो सुसु लीक हो रहा है, ये समस्या बंद हो जायेगी।
मैंने उसकी शर्ट उठा दिखाने को कहा तो उसने अपने पेट पर सर्जरी वाली जगह दिखाई.. आप तस्वीर में देखिये सही में इस बच्चे की पेट की मेजर सर्जरी हुई है और जिस समय मैं उससे बात कर रहा था उस वक़्त भी यह पेशाब कर चूका था, इसकी पेंट गीली थी। पेंट का गीलापन और आने वाली बदबू उसके दावे को सच करने का इशारा जो कर रही थी।
मैं भिखारियों को संरक्षण देने या किसी को भिखारी बनाने का धुर विरोधी हूँ, इसलिए बच्चे की भूख मिटाने के लिए एक प्लेट चीला लेकर खिलाया इसे, जब इसके लिए चीला लेने गया था तो ना जाने एक सज्जन ने भी इसे एक प्लेट चीला और दे दिया। बच्चा खाते खाते घबरा रहा था। बहुत मुश्किल लगा उसका विश्वास जितने में.. मैं हार मान गया पर वो अपने घर नहीं ले जाना चाहता था मुझे ..मैं उसके घर वालों से मिल कर आगे के इलाज में मदद की बात करना चाह रहा था। अंत में उसने कहा की उसे बाल कटवाना है..।
फिर क्या उसे सेलून ले कर गए, बाल कटने के बाद.. यह नन्हे उस्ताद हीरो दिखने लग गए। पर हमें घर नहीं ले जाऊँगा बोले.. उसके मन में कहीं ना कहीं डर सा लग रहा था कि कही हम उसे कही और ना ले जाएँ ..या पता नहीं क्या चल रहा था उसके मन में? अंततः उसके जेब में अपना नाम और नंबर लिख कर एक पर्ची डाल दी ..कहा कि अपने घर में अपनी माँ या किसी सदस्य से कहना की मुझसे बात कर लें.. ताकि तुम्हारा आगे का इलाज अच्छे से करवाया जा सके। फिर तुम भी अच्छे बच्चों की तरह दोबारा स्कूल जा सकोगे ..और कोई तुम्हे मुतरू बोलकर भी मजाक नहीं उड़ाएगा।
इतना करने के बाद बच्चा दिल खोल हंस दिया .बस दिन बन गया फिर।
विशेष निवेदन- जब भी आपके आसपास कोई इस तरह का बच्चा भीख मांगे तो उसे मेरी तरह करीब बैठा कर , खाना खिला कर उसकी कहानी ना पूछे। उससे कुछ चिल्लर थमा कर चलता करें। अरे ये भिखारी क्या देश का भविष्य बनेंगे। इन्हें सिर्फ भीख दें..देश के असल भविष्य हम महंगे स्कुल में पढने वाले हैं.. ये बच्चा एक अच्छा नागरिक बनने का हक़ नहीं रखता है।
देख लो पहले ही बता दिया है ..किसी को अच्छा इन्सान बनने में मदद मत करना वरना इतनी बड़ी बोरिंग पोस्ट लिख कर अपना टाइम वेस्ट करना पड़ेगा। अब अपन खाली पिली लोग हैं ..इन कहानियो के सिवाय अपना दुनिया में है कौन ..उधार पर जिंदगी चल रही है। तो कभी शाम को कोई अपना नुक्कड़ में चाय पिला जाता है।
“आज दरसल महसूस हुआ की भिखारी बनते नहीं हैं – हमारी तरह कुछ पढ़े लिखे अनपढ़ लोग ऐसे लोगो का हाथ न थाम कर उन्हें भीख मांगने के लिए बढ़ावा देते हैं। उसे भीख देना/दुत्कारना जायज ठहराते हैं बजाय इसके की उसके भीतर झाँक लें। फिर इस तरह वो आम इन्सान से भिखारी बन जाता है ..और हम पढ़े लिखे से ..पढ़े लिखे जाहिल बन जाते हैं।
रविन्द्र सिंह क्षत्री
सुमित फाउंडेशन “जीवनदीप” 12/07/2018
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