एक बार जमाले यार का जलवा देख लेने के बाद हुज़ूर ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रदिअल्लाहू तआला अन्हु के दिल में इल्म हासिल करने का जज़्बा किसी तेज़ समुन्दर की लहरों की मानिंद अंगड़ाईयाँ ले रहा था, और इश्क की ये मौजे तेज़ी से साहिल (किनारा) यानि मंज़िल की जानिब बढ़ने …
Read More »संजर से अजमेर का सफ़र – पार्ट -6
हुज़ूर ख्वाजा ग़रोब नवाज़ रदिअल्लाहू तआला अन्हु एक रोज अपने बाग में पौधों को पानी दे रहे थे कि आपको एक अजीब सी खुश्बू महसूस हुई, लगा जैसे कोई उन्हें पुकार रहा हो, आप बेचैन हो उठे, यहाँ तक की आप बाग़ से बाहर आ गए और बाहर …
Read More »संजर से अजमेर का सफ़र – पार्ट 4
हुज़ूर ख्वाजा ग़रीब नवाज़ की सवानेह हयात को आप बाज़ौक वो शौक से पढ़ रहे है, बेहद ख़ुशी की बात है, आपकी ज़िन्दगी के हालात सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि सभी कौम के लिए बहोत बड़ी इबरत है, जब इंग्लिश हुकूमत हमारे मुल्क में थी, उस वक्त भी …
Read More »संजर से अजमेर का सफ़र – पार्ट 3
दास्ताने हुज़ूर ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रदिअल्लाहू तआला अन्हु “हुज़ूर ख्वाजा ग़रोब नवाज़” की विलादत माहे ‘रजबुलमुरज्जब’ की 14 तारीख, ‘पीर’ के दिन सुबह सादिक के वक्त हुई थी। यूँ तो आपकी विलादत के बारे में बेशुमार करामतो का ज़िक्र मिलता है, जिनमे से चंद करामतो को ही पेश किया जा …
Read More »संजर से अजमेर का सफ़र – पार्ट 2
दास्ताने हुज़ूर ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रदिअल्लाहू तआला अन्हु को इस बार एक नये अंदाज़ में किसी किस्से की मानिंन्द लिखने की कोशिश की है, इसमें अगर कुछ बेअदबी खता हो जाये, तो माफ़ी का तलबगार हूँ। यूँ तो हुज़ूर ख़्वाजा ग़रीब का ज़िक्र उनके दौर के हर खास ओ आम …
Read More »संजर से अजमेर का सफ़र – पार्ट 1
‘इलाही जाऊ कहाँ होके मै तेरा मंगता, मेरे मोईन मदद कर, मदद कर मेरे दाता, मुईने दी, शहन्शाहे औलिया के वास्ते’ शुक्रअलहम्दुलिल्लाह // हम गरीबोँ, लाचारो, बेसहारो, मजबूरो के मददगार, हमारे हाजतरवा, मुश्किलकुशा, सुल्ताने जूदो सखा, ख़ुलुसो मोहब्बत के पैकर, मुर्शिदे कामिल, हसन ओ हुसैन की आँखों के तारे, …
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