
GPS से लेकर शेयर बाजार तक: क्यों जरूरी है ऑप्टिकल एटॉमिक क्लॉक से ‘सेकंड’ को मापना? ‘Second’ New Definition: Era of Optical Atomic Clocks
विश्व के वैज्ञानिकों ने इतिहास की। सबसे बड़ी ‘घड़ी बनाम घड़ी’ तुलना की है। यह अब तक की सबसे सटीक Time माप प्रणाली है। ऑप्टिकल एटॉमिक क्लॉक्स अब अंतरराष्ट्रीय मानक बनेंगी। यह 2030 तक “सेकंड” की नई परिभाषा देगा। यह विज्ञान के लिए एक बड़ा कदम है। एक नया Time युग शुरू हो रहा है।
2030 तक ‘सेकंड’ की परिभाषा बदलेगी, ये घड़ियां हैं सबसे सटीक! परमाणु घड़ियों ने रचा इतिहास
वर्तमान में कैसे मापा जाता है ‘सेकंड’?
अभी Time मापने की प्रणाली 1967 से लागू है। यह सीज़ियम-133 (Cs) एटॉमिक क्लॉक पर आधारित है। “एक सेकंड” की परिभाषा तय है। इसमें सीज़ियम-133 परमाणु। 9,192,631,770 बार विकिरण उत्पन्न करता है। यह दो ऊर्जा स्थितियों के बीच होता है। भारत में नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी। पांच सीज़ियम क्लॉकों से यह मानक बनाए रखती है।
यह हमारी वर्तमान Time व्यवस्था है।
क्यों जरूरी है ऑप्टिकल एटॉमिक क्लॉक्स?
सीज़ियम क्लॉक्स माइक्रोवेव पर काम करती हैं। ऑप्टिकल क्लॉक्स दृश्यमान प्रकाश तरंगें उपयोग करती हैं। ये 10,000 गुना तेज आवृत्तियाँ बनाती हैं। इससे अधिक सटीकता मिलती है। यह 18 दशमलव स्थानों तक सटीक है। स्थिरता में भी वृद्धि होती है। तकनीकी अनुप्रयोगों में प्रदर्शन बेहतर होता है। उदाहरण के लिए, स्ट्रॉन्शियम-आधारित ऑप्टिकल क्लॉक। 15 अरब वर्षों में सिर्फ 1 सेकंड भटकेगी। यह अतुलनीय सटीकता है।
वैश्विक तुलना परीक्षण: क्या हुआ?
यह परीक्षण 20 फरवरी से 6 अप्रैल, 2022 तक चला। यह 45 दिनों की अवधि का था। फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यू.के. और जापान शामिल थे। 10 ऑप्टिकल क्लॉक का उपयोग हुआ। पांच प्रकार के परमाणु थे। Sr, Yb, Yb⁺, Sr⁺, In⁺ शामिल थे। फाइबर ऑप्टिक्स और GPS आधारित IPPP प्रणाली का उपयोग हुआ। 38 अलग-अलग आवृत्ति अनुपातों की गणना हुई। 4 अनुपात पहली बार सीधे मापे गए।
यह एक व्यापक वैश्विक प्रयास था।
परीक्षण के परिणाम क्या थे?
अधिकांश क्लॉकों के बीच अंतर। 10⁻¹⁶ से 10⁻¹⁸ के भीतर था। यह अत्यधिक सटीकता दर्शाता है। जर्मनी और यू.के. के Sr क्लॉकों के बीच। GPS तुलना में 3 × 10⁻¹⁶ से कम का अंतर था। फ्रांस और जर्मनी के Sr क्लॉकों में। 2 × 10⁻¹⁶ का स्थायी ऑफसेट मिला। इसे सुधारने की आवश्यकता है। इटली के Yb क्लॉक के साथ। GPS लिंक में तकनीकी गड़बड़ी पाई गई।
परिणाम बहुत ही सटीक थे।
इस बदलाव की क्यों है आवश्यकता?
- GPS और रेडियो खगोल विज्ञान जैसी प्रणालियाँ। अत्यंत उच्च Time-सटीकता मांगती हैं।
- जलवायु परिवर्तन निगरानी भी शामिल है। वित्तीय लेन-देन भी सटीक Time पर निर्भर करते हैं।
- नई परिभाषा वैश्विक Time मानकों को। और भी मजबूत बनाएगी। यह ऐतिहासिक परीक्षण सफल रहा है।
- अलग-अलग देशों की 10 घड़ियाँ। आपस में असाधारण रूप से सहमत हुईं।
- यह सफलता ‘सेकंड’ की नई SI परिभाषा का मार्ग। लगभग स्पष्ट कर चुकी है।
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