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Success story : 5वीं के छात्र विमल ने वेबसाइट में कहानियों का किया छत्तीसगढ़ी अनुवाद

रायपुर, 06 जनवरी 2021

छत्तीसगढ़ प्रदेश में ‘पढ़ई तुहार दुआर‘ कार्यक्रम के अंतर्गत कोरोनाकाल में बच्चों को ऑनलाइन या ऑफलाइन शिक्षा उपलब्ध करायी जा रही है। बिलासपुर जिले के विकासखण्ड कोटा की तहसील रतनपुर के जमुनाही तिलकडीह प्राथमिक शाला के कक्षा 5वीं के छात्र विमल ने स्टोरीविवर के वेबसाइट में 10 कहानियों का स्थानीय भाषा छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद कर एक नई शुरूआत की। कहते हैं, “पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती” यह अपने आप में नई मिसाल है।

    कोरोना के कारण देश और प्रदेश में स्कूल बंद है, ऐसी स्थिति में बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग में ‘पढ़ई तुंहर दुआर‘ कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए विभिन्न प्रकार के कारगर उपाय किए गए। इसका लाभ सभी विद्यार्थियों को मिल रहा है।

    विमल की उम्र अभी 10 वर्ष है। उसने हाल ही में अपने बड़े पिता श्री बलदाऊ सिंह श्याम को लैपटॉप में काम करते देख प्रेरित हो स्वयं कहानी लिखने की ठानी। विमल ने पक्के इरादे के साथ स्टोरीविवर की वेबसाइट पर उपलब्ध कहानियों में 10 हिंदी भाषा की कहानी को स्थानीय छत्तीसगढ़ी भाषा मे अनुवाद किया। वर्तमान में छात्र मोबाइल सहित कम्प्यूटर लैपटॉप में काम करने में बिना किसी प्रशिक्षण के काफी जानकारी रखने लगा है।

ऑनलाइन से सम्बंधित पढ़ई तुंहर दुआर के तहत चलने वाले ऑनलाइन क्लास में भी विमल नियमित रूप से शामिल होकर पढ़ाई करता है। विमल ने स्टोरीविवर सहित ऑग्मेंटेड रियलिटी वीडियो बनाने का भी काम कर रहा है। वह लगातार ऑनलाइन सहित ऑफलाइन क्लास का लाभ लेते हुए अपनी पढ़ाई को जारी रखा हुआ है।

    ग्रामीण अंचल के छात्र विमल सिंह गोंड जो माता-पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अपने बड़े पिता श्री बलदाऊ सिंह श्याम के पास रहकर अपनी पढ़ाई-लिखाई सतत रूप कर रहा है। छात्र के पिता छोटे कृषक है। आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण छात्र बड़े पिता बलदाऊ सिंह के पास रहकर पढ़ाई कर रहा है, बलदाऊ सिंह द्वारा भी पढ़ाई में कभी आर्थिक स्थिति कारण न बने इसका ध्यान रखते हुए विमल को आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराते हैं। छात्र विमल इस कोरोनाकाल में अपने बड़े पिता के साथ रहकर सभी ऑनलाइन तकनीकी जानकारी भी रखने लगा है। ऑफलाइन क्लास के रूप में संचालित मोहल्ला क्लास में अपने साथ पढ़ने वाले बच्चों को लगातार क्लास में आने और पढ़ाई निरंतर जारी रखने के लिए प्रेरित करता है।

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