ये उस समय की बात है जब उनके पास काम पर जाने के लिए साईकिल तक का साधन भी नहीं था, एक दफा काम से लौटते समय किसी जरुरतमंद महिला ने उनके सामने हाथ फैलाया, उनके जेब में कुछ ही रुपये थे, लेकिन उन्होंने सारे पैसे उस महिला को दे दिए ये सोचकर कि इसकी ज़रूरत मुझसे ज़्यादा है और मेरे पास बाद में भी पैसे आ जाएंगे, उस महिला ने उन्हें खूब दुआ दी और चली गयी।
इसी तरह वो हर ज़रूरतमंद की हमेशा मदद करते और ख़ुद के विषय में कभी ना सोचते कि उनके पास पैसे न रहे तो उनकी ज़रूरत कैसे पूरी होगी। लेकिन जो दूसरों की मदद का इतना जज़्बा रखता हो, और जरूरतमंदों की मदद करता है, उसका रब उसकी हमेशा मदद करता है और उसकी ज़रूरतों को पूरा करता है। आप जब भी दरगाह जाते तो अल्लाह से यही दुआ करते कि उनके हाथों को लेने वाला नहीं बल्कि हमेशा देने वाला बना। रब ने उनकी नेक नियति और दूसरों की मदद के जज़्बे को कुबूल किया और उन्हें इतना नवाज़ की आज वो छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े एक सैमसंग सर्विस सेंटर के मालिक हैं, मितान भूमि अख़बार के भी मालिक और एडिटर हैं, और प्रदेश की सबसे बड़ी समाज सेवी संस्थाओं में से एक संस्था के संयोजक हैं।
हम बात कर रहे हैं समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी संस्था ‘प्रदेश मुस्लिम समाज कल्याण सोसाइटी’ की, जिसने हाल ही में अपने छह साल मुकम्मल किए और इसके संयोजक, रायपुर शहर के एक छोटे से ग़रीब परिवार में जन्में श्री एज़ाज़ कुरैशी की।
उनका शुरू से ही समाज सेवा के लिए और गरीबों के लिए कुछ करने का जज़्बा रहा। उन्होंने समाज सेवी संस्था प्रदेश मुस्लिम समाज कल्याण सोसाइटी की शुरुआत 17 अप्रैल 2012 की। जब उन्होंने इसकी शुरुआत की तो इसके पीछे उनकी नियत ग़रीब लड़कियों की शादी करवाने की मुख्य रूप से थी, क्योंकि उन्होंने इस्लाम की एक रिवायत सुन रखी थी कि जो किसी ज़रूरमंद लड़की की शादी करवाता है या उसमें मदद करता है तो अल्लाह उसे एक हज का सवाब (पुण्य) देता है। इसी नेक नियति के साथ उन्होंने इस संस्था की नींव रखी और इस कार्य को मुख्य उद्देश्यों में शामिल किया।
साथ ही बेरोज़गार युवकों के लिए स्व-रोज़गार दिलाने में मदद करना।
ज़रूरतमंद मरीजों के लिए दवाई और रक्त का इंतज़ाम करना। ग़रीब बेसहारा, महिलाओं को सिलाई मशीन का प्रशिक्षण दिलाना और आवश्यकता पड़ने पर उनके घर के लिए राशन की व्यवस्था करना।
इतना ही नहीं उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए किताबों और स्कूल यूनिफॉर्म का इंतज़ाम करना।
निःशुल्क मैय्यत गाड़ी और क़फ़न-दफन का इंतजाम करना।
नशामुक्ति अभियान चलना।
पर्यावरण की रक्षा के लिए पौधरोपण करना और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना जैसे उद्देश्य संस्था के मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं।
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क्योंकि संस्था ने इस्लाम के मूल्य सिद्धांतों को अपने कार्यों का आधार बनाया है, जिसमें सभी धर्मों को मानने वाले लोगों की बेहतरी के लिए काम किया जाना बताया गया। इसलिए बिना किसी धर्म-जाति भेदभाव के सभी ज़रूरमंदो के लिए ये कार्य और प्रयास किये जाते हैं।
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संस्था की इसी धर्मनिरपेक्ष जन-सेवा को देखते हुए इसमें कई सदस्य विभिन्न धर्मों को मानने वालेे जुड़े हैं, जिनमें मुख्य रूप से महिलायें शामिल हैं। और जैसा कि श्री एज़ाज़ क़ुरैशी ने ये चाहा था कि सभी समाज की तरह मुस्लिम समाज के लोग भी आगे आकर एक संस्था के रूप में जन-कल्याण में भागीदार बनें, इसलिए उन्होंने इस संस्था का नाम “प्रदेश मुस्लिम समाज कल्याण सोसायटी” रखा जिसमें मुख्य रूप से प्रदेश के मुस्लिम समाज के लोग आगे आकर जन-कल्याण में भागीदार बनें और ऐसा ही हुआ।
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आज जन-कल्याण कार्यों के लिए सभी वर्ग के सदस्य मुख्य रूप से संस्था से जुड़कर निःस्वार्थ भाव से सहयोग कार्य कर रहे हैं।
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जब सूरज अपनी किरणें बिखेरता है तो बिना भेदभाव सभी पर बिखेरता है, जैसे बारिश सभी धर्म के लोगों पर समान रूप में होती है और बरसने में भेदभाव नहीं करती है, जैसे चंद्रमा की रोशनी सभी पर समान तौर पर पड़ती है, जैसे हवा सभी पर समान रूप में चलती है, वैसे ही इस संस्था के कार्य भी बिना किसी धर्मिक भेदभाव के सभी के लिए किये जाते हैं।
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“मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल, मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।”
संस्था ने इस वर्ष 17 अप्रैल 2018 को अपने 6 साल पूरे किए, इन 6 वर्षों के अपने कार्यकाल में संस्था ने जिस सफलता हासिल किया है। इससे ये प्रतीत होता है कि ये मुकाम बहुत ही आसानी से हासिल हुआ होगा। लेकिन ऐसा नहीं है, अनेक कठिनाइयों का सामना इस मुकाम तक पहुंचने के लिए संस्था को करना पड़ा है। इसके शुरुआती दौर में लोग श्री एज़ाज़ क़ुरैशी को कहते कि नया-नया समाज सेवा का जोश है, जल्द ही ठंडा हो जाएगा, परंतु लोगों की परवाह किये बिना वो अपने साथियों को लेकर चलते गए, जिनमें मुख्य रूप से सचिव अलीम अंसारी, कोषाध्यक्ष मोहम्मद इरफान, सह-सचिव मोहम्मद सलीम और अब्दुल कादिर (जिन्हें लोग प्यार से सक्को भाई के नाम से भी जानते हैं) शामिल थे और आज भी सभी उसी जज़्बे के साथ संस्था के कार्यों में आगे रहते हैं।
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संस्था को रायपुर लोकसभा के सांसद और पूर्व केबिनेट मंत्री, भारत सरकार- आदरणीय श्री रमेश बैस जी का भी बड़ा सहयोग और प्रेम हासिल हुआ, और उन्होंने न सिर्फ संस्था का संरक्षक बनना स्वीकार किया बल्कि संस्था को अपने स्नेह और बहुमूल्य मार्गदर्शन से सदैव ही गौरवान्वित किया है।
संस्था के सभी सदस्यों के लिए यह बात भी गौरवान्वित करने वाली है कि संस्था के जन-कल्याण के कार्यों और प्रयासों को देखते हुए ओडिशा के युवाओं ने भी इसी ‘प्रदेश मुस्लिम समाज कल्याण सोसाइटी’ नाम से संस्था बनाई है। और उन्होंने हमें संपर्क करके इसकी जानकारी दी। और उनके सदस्य संस्था के 6 साल मुकम्मल होने की खुशी में रायपुर में रखे गए प्रोग्राम में शामिल होने पहुँचे। उन्होंने सभी से मुलाक़ात की और संस्था के कार्यों के विषय में मार्गदर्शन भी लिया।
इस तरह संभालते हैं जिम्मेदारी
समाज सेवा करने के लिए जितना श्रमदान आवश्यक है उतना ही इसमें पैसों की भी ज़रूरत होती है, इसलिए इसमें पैसों की परेशानी सामने आयी। जिसके लिए सभी ने अपनी कमाई में से कुछ हिस्सा निकालकर संस्था को दिया और थोड़े से जब पैसे इकट्ठे हुए तो उसे ज़रूरमंदो के लिए ख़र्च कर दिया गया। और जैसे कहा जाता है कि जो ख़ुदा की राह में ख़र्च करता है, उसे ख़ुदा और नवाज़ता है। इसी तरह ख़ुदा संस्था और उससे जुड़े लोगों को नवाज़ता गया और वो अपने पैसों को ख़ुदा की राह में जन-कल्याण के लिए ख़र्च करते चले गए और ये प्रथा आज भी चल रही है।
एक समय ऐसा भी आया कि संस्था के कार्यों और इसके विस्तार को लेकर जब मीटिंग होती तो कई और नए कार्यों को करने की योजनाएं बनाई जातीं, लेकिन समय बहुत बीत जाने के बाद भी संस्था को उन कार्यों को करने में सफलता हाथ नहीं लग रही थी। सभी बहुत परेशान हुए कि कुछ भी सोचा हुआ काम मुकम्मल क्यों नहीं हो पा रहा है?
जब अगली मीटिंग का समय तय हुआ तो इस दौरान फेसबुक पर एक मोटिवेशनल प्रोग्राम की क्लिप सामने आई, उसमें बताया गया कि महाभारत में कैसे गुरु द्रोणाचार्य ने एक-एक करके सभी शिष्यों को बुलवाकर दूर पेड़ पर रखे लकड़ी के पक्षी की आँख पर तीर से निशाना लगाने को कहा, युधिष्ठिर ने सबसे पहले आगे आकर निशाना लगाया तो गुरु द्रोणाचार्य ने पूछा, ‘बताओ तुम्हें क्या दिखता है?’ कहा कि मुझे पेड़, उसकी शाखें, पत्ते, और उसके पीछे का आकाश और बादल सब दिखता है।
गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर से कहा, वापस कतार में जाकर खड़े हो जाओ। इसी तरह सभी को एक-एक करके गुरु द्रोणाचार्य ने सभी को बुलवाया और निशाना लगाकर जो भी दिखता है उसका वर्णन करने को कहा और सभी ने कुछ इसी प्रकर का वर्णन किया कि उन्हें फलां-फलां चीज़े दिख रहीं हैं। गुरु द्रोणाचार्य ने किसी को भी तीर चलाने की अनुमति नहीं दी और वापस कतार में जाकर खड़े होने का आदेश दिया।
फिर अर्जुन की बारी आई, अर्जुन ने कमान पर तीर चढ़ाया और निशना लगाया, गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन से भी वही सवाल पूछा कि बताओ तुम्हें क्या दिखता है? अर्जुन ने कहा कि मुझे सिर्फ पक्षी की आँख दिख रही है। गुरु द्रोणाचार्य ने कहा कि ठीक से बताओ और क्या दिख रहा है? अर्जुन ने कहा कि मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा है, केवल पक्षी की आँख दिख रही है। गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन से कहा कि अब चलाओ तीर! अर्जुन ने तीर चलाया और सीधे दूर रखें उस पक्षी की आँख पर तीर जाकर लगा। इस कहानी से उदाहरण देकर बताया गया कि कैसे अर्जुन का फोकस केवल पक्षी की आँख पर था, इसलिए अर्जुन एक महान धनुर्धर बना।
निजी जीवन में भी एकाग्रता को महत्व
इसी प्रकार कोई भी काम हो हमारी एकाग्रता केवल उसी कार्य को करने के लिए होनी चाहिए, क्योंकि बहुत से कार्य एक साथ करने की योजना बनाई जाए तो ध्यान सभी पर होने के कारण कोई भी कार्य मुकम्मल ही नहीं हो पाता है, इसलिए हमारा फोकस केवल उस एक कार्य पर होना चाहिए। ताकि वो अच्छी तरह से मुकम्मल हो पाए। ये कहानी और इससे मिलने वाला सबक़ हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसी परिस्थिति से हम भी गुज़र रहे थे कि हम कुछ करना चाह रहे थे लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे थे। इसके बाद हमने ये ठान लिया कि केवल एक ही विषय पर हम फोकस करके कार्य करेंगे और उसके बाद दूसरे और फिर तीसरे पर विचार करेंगे।
इस तरह हमने देखा कि केवल एक विषय पर फोकस रखकर हमारा वो कार्य अच्छे से सम्पन्न हुआ, जो काफी महीनों से पूरा नहीं हो पा रहा था और हमें सफलता मिली। हम समझ गए कि हमें एक समय में केवल एक ही कार्य पर अपना पूरा फोकस यानी एकाग्रता रखनी है तभी हमारे सोचे हुए कार्य में हमें कामियाबी मिल पाएगी। और ये सीख हमने अपने निजी जीवन में भी अपना ली है और हमें इससे बहुत लाभ हुआ है।
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भविष्य की योजनाएं
इस संस्था की आगे भविष्य में कई और योजनाएं हैं, जैसे- निःशुल्क स्कूल खोलना, वृद्धाश्रम का निर्माण करना, समाज में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाना, आदि। जिन्हें हम एक-एक करके अंजाम देंगे। जिस प्रकार इस संस्था में सभी धर्म के लोग जुड़कर जन-कल्याण के कार्य कर रहे हैं, इसी प्रकार यदि देश में सभी मिलजुलकर जान-कल्याण के कार्य करें और एक-दूसरे को आगे बढ़ाने में मदद करें तो हम जल्द ही एक प्रगतिशील देश से विकसित देश बनने की ओर अग्रसर होंगे और एक शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज बनाकर अपने भविष्य का निर्धारण खुद करेंगे।
(यह लेख हमें संस्था के सदस्य दानिश भाई ने भेजा है, जिसके लिए सिम्पली लाइफ डॉट कॉम की ओर से आभार।)
Foreword from the President of the Society
The activities report of Pradesh Muslim Samaj Kalyan Society (PMSKS) for the last three year opens up a new chapter of unmatched success in the field of socio-economic development for the poor people specially minorities. The broad spectrum of activities and their success rate speak volumes about dedicated work taken up by the members of PMSKS under the inspiring leadership of Mr. Mohammad Alim Ansari, Secretary of the Society.
It has been a successful year and this annual report outlines our progress in society development. We have been working with the help of our well-wishers, friends and relatives to empower communities to access their rights and entitlements. We would not be reporting such progress if it were not for the unfailing support and contributions of our friends and supporters. I take this opportunity to thank them for sharing our collective dream and contributing their precious time and thoughts towards its realization.
I would also like to thank the members of General Body for their guidance and support for this year and our team of staff for their commitment and hard work. It gives me great pleasure to report that this hard work and the values of transparency and accountability of the organization has been recognized at a state level.
I congratulate family members of PMSKS for such a great success of this year and wish them more and more success in years to come.
-Azaz Qureshi- President, PMSKS