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​​​​​​​छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग अध्यक्ष नेे दो परिवारों के बीच करवाई सुलह

समझाईश पर बच्चों की बेहतरी के लिये साथ रहने पर दम्पत्ति ने दी सहमति
शासकीय सेवा में रहने वाले प्रधान आरक्षक के खिलाफ आईजी को कार्रवाई करने के दिये गये निर्देश

 

 रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक द्वारा महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की जनसुनवाई के दौरान आज 11 दिसंबर को दो जोड़े परिवारों के बीच सुलह करायी गयी। यह पहला अवसर था, जिसमें पत्नियों के अलग-अलग आवेदन थे और अलग-अलग शिकायत थी। .

दोनों के पतियों और उनके परिजनों को विस्तार से समझाईश दी गयी। जिस पर दोनों दम्पत्ति ने पुराने मतभेद भुलाकर फिर से साथ रहने की सहमति दी। सुनवाई में 23 प्रकरण रखे गये थे, जिनमें से 11 प्रकरण मौके पर ही निराकृत किये गये। 

Chhattisgarh State Commission for Women made reconciliation between two families


प्रार्थना सभा भवन में आज आयोजित सुनवाई में रामायण चौक चांटीडीह बिलासपुर निवासी एक आवेदिका ने अपने पति एवं ससुर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना की शिकायत की थी कि उनके द्वारा दहेज के लिये आवेदिका को धमकाया जा रहा है, इसलिये वे अपने पति के साथ नहीं रह रही है। .

नायक ने इस प्रकरण को गंभीरता से सुना एवं इस पर निर्णय लेते हुए आवेदिका को कुछ शर्तों के साथ समझौता कर ससुराल जाने के लिये कहा। दोनों पक्ष समझौता के लिये तैयार थे, आवेदिका ने शर्त रखी कि अनावेदक शराब पीकर लड़ाई नहीं करेगा एवं मजदूरी पर जाने के लिये आवेदिका को परेशान नहीं करेगा। इन शर्तों के साथ ही आवेदिका राजीखुशी से अनावेदक के साथ जाने को तैयार हुयी। किंतु इस प्रकरण में नियमित निगरानी के लिये जिला पंचायत मुंगेली की पूर्व सदस्य मायारानी सिंह को अधिकृत किया गया। वे उभयपक्ष को किसी प्रकार की समस्या होने पर तत्काल सूचना देगी।

 
इसी प्रकार नीतू करही निवासी आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ भरण-पोषण नहीं करने एवं शराब पीकर मारपीट करने की शिकायत की थी। जिससे परेशान होकर वह अपने मायके में निवास कर रही थी। आयोग की अध्यक्ष ने इस प्रकरण में भी बच्चे की बेहतरी के लिये दोनों को साथ रहने की समझाईश दी। आवेदिका ने कुछ शर्तों के साथ अनावेदक के साथ रहने पर सहमति दी। इस प्रकरण की निगरानी एक साल तक करने के लिये आयोग की ओर से शिल्पी तिवारी एवं सरपंच नरोत्तम पटेल को अधिकृत किया गया। 


बिलासपुर निवासी दो आवेदिकाओं द्वारा नौकरी से निकालने पर मानसिक प्रताड़ना की शिकायत की। आयोग में उपस्थित अनावेदक ने बताया कि शासन से उन्हें कोई भी अनुदान नहीं दिया जाता है। इस प्रकरण में आयोग की अध्यक्ष ने निर्णय दिया कि शिक्षण संस्था प्रायवेट संस्था है। शासन से कोई अनुदान प्राप्त नहीं होता है। जिससे प्रकरण की सुनवाई आयोग के क्षेत्राधिकार में नहीं होने से दोनों प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया जाता है। 


आज की सुनवाई में पूर्व महापौर बिलासपुर वाणी राव, प्रमोद नायक, मुंगेली की पूर्व जिला पंचायत सदस्य मायारानी सिंह एवं संयुक्त कलेक्टर सुश्री दिव्या अग्रवाल, शासकीय अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे। 

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