AllReligionSpecial Story

गौसे आज़म “रज़ियल्लाहु तआला अन्हु” पार्ट -1

गौसुल आज़म बमने बे सरो

सामा मददे

किबलए दी मददे,काबा ओ

ईमा मददे

“महबूबे सुब्हानी,
कुतबे रब्बानी,
पीरे ए लासानी,
गौस ए समदानी,
पीर ए पीरा, मीर ए मीरा

हुज़ूर सैय्यद मुह्युद्दीन अब्दिल कादिर जीलानी,
अल हसनी वल हुसैनी,

हुजुर ग़ौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु” का मुबारक महीना जिसे ग्यारवी शरीफ़ के नाम से भी जाना जाता है, तमाम आशिकों को बहुत बहुत मुबारक हो।

आपका ज़िक़्र सुनना, सुनाना भी यकीनन इबादत है। जब आपका कोई मुरीद उन्हें दिल से याद करता है उनसे फ़रियाद करता है फ़िर वो चाहे दुनिया के किसी भी खित्ते से क्यों ना हो तो हुजूर ग़ौसे आज़म उसकी मदद करने ज़रूर आते है ये हम सुन्नियों का अकीदा है और जो कोई उनके नाम से नियाज़ दिलाता है तो आप उस जगह तशरीफ भी लाते हैं । सुब्हान अल्लाह।




🥏 पीराने पीर दस्तगीर के ज़िक्र से इंशाअल्लाह न सिर्फ आपका ईमान ताज़ा हो जाएगा बल्कि रूह भी मुनव्वर हो जाएगी, तो हुज़ूर ग़ौसे आज़म के दीवानों आइए उनका ज़िक़्र करे, ज़िक़्र बगौर सुने और दूसरो तक भी पहुचाए I

🥏 माहे रमज़ान में जब आपकी विलादत होने वाली थी तो शहरे “जीलान”में हर सिम्त नूर ही नूर फैला था, लगता था जैसे चाँद ज़मी पर उतर आया हो।

आपकी विलादत की खबर देने आपके घर पर कौन आया था ?

कुरबान जाइये हुज़ूर ग़ौसे आज़म के दीवानो, हम सबके “आका ओ मौला, ताजदारे अम्बिया,हुज़ूर नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तुफा सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम” आपके वालिद ए मोहतरम “हजरत अबू सालेह मूसा ‘जंगी दोस्त’ रहमतुल्लाह अलैह” के ख्वाब में जलवा अफरोज़ होकर खुद उन्हें ग़ौसे आज़म के विलादत की खुशखबरी सुना रहे है, और फ़रमा रहे है

🥏“अए मेरे बेटे “अबू सालेह” मुबारक हो! जिसका मुझे इंतज़ार था, वो तेरे घर तशरीफ लाने वाला है, तुझे अल्लाह तआला ने वो फरजंद दिया है जो मेरा बेटा और मेरा महबूब है, जो खुदावन्दे करीम का भी महबूब है,और

उसका मरतबा “औलिया” में ऐसा होगा जैसा मेरा मरतबा “अम्बिया” में है “ ।

🥏ज़रा सोचो तो सही कैसी होगी वो अज़ीम शक्सियत जिसके आने का इंतज़ार दोनों आलम के ताजदार “मुहम्मद मुस्तफा सल्लललाहू तआला अलैहिवसल्लम” खुद कर रहे हो। तमाम अम्बिया व रसूल भी जिनका इंतज़ार कर रहे हो और जिनकी विलादत से पहले ही अर्श से फर्श तक जिन्नों मलायक भी खुशियाँ मना रहे हो उसके मरतबे का क्या कहना ।

सिर्फ़ एक बार नही बल्कि बार आप के वालिद ए माजिद को ख्वाब में बशारत दी जाकर मुबारकबाद दी जा रही है और कहा जा रहा है की

🥏 ऐ ‘मूसा जंगी दोस्त’ हम तुझे खुशखबरी देते है तेरे घर आने वाले उस मेहमान की तेरे बेटे की जिसका मरतबा ऐसा होगा की

सिवाए “सहाबा” और “आइम्मा ए किराम” के तमाम “औलिया अव्वलीन व आखरिन” भी आप के इस फरजंद के फरमाबरदार होंगे और उस की इताअत उन के दर्जात की बुलंदी का सबब बनेगी, सुभानअल्लाह I

🥏 आपकी विलादत के वक्त आपकी वालिदा “उम्मुल खैर फातिमा” की उम्र तक़रीबन 60 बरस थी, और आपकी विलादत की शब् (रात) शहरे बगदाद में जितने भी बच्चे पैदा हुवे वे सब के सब लड़के ही पैदा हुवे, जिनकी तादाद 1100 थी और अल्लाह की कुदरत देखिये की आपकी विलादत के सदके वो तुफैल अल्लाह ने उस रात पैदा हुवे सभी बच्चो को “औलिया ए कामलीन” बना दिया, सुभान अल्लाह ।

क्या ही मुक़द्दस तारीख वो महिना है आपकी पैदाइश का

🥏 जिस शब् रहमतो और बरकतों का भी नुज़ूल हो रहा हो, उसी शब् यानि “मुक़द्दस माहे रमजान” की शब यानि पहली तारीख सन 470 “हिजरी” यानी 17 मार्च सन 1078 ईस्वी को आप शहरे “जीलान” (वर्तमान मुल्के “ईराक”) जो की बग़दाद शरीफ से तक़रीबन 40 किलोमीटर के फासले पर है, में आप पैदा हुवे I

जो नूर मक्का ए मोअज्जमा से मदीने मुनव्वरा में चमका था

उस नूर का जलवा शहरे जीलान वो बगदाद शरीफ़ में जगमगा उठा था ।

🥏आपके वालिद “हजरत मूसा जंगी दोस्त” और वालिदा “उम्मुल खैर फातिमा” का ये लख्तेजिगर जब पैदा हुवा ।

और जब आपको वालिदा ने दूध पिलाना चाहा तो

सुबह सादिक यानी सहरी के वक्त से लेकर आफ़ताब ए गुरूब

यानी रोज़ा इफ्तार के वक्त तक इस बच्चे ने दूध नहीं पिया I

और ऐसा कारनामा सिर्फ एक दिन के लिए ही नहीं हुवा था,

बल्कि पूरे रमजान महीने तक रोज़ाना इस बच्चे का यही मामुल बना रहा ।

आपकी वालिदा फरमाती है की मेरा बेटा पैदा होते ही माहे रमज़ान में ना सिर्फ सारा दिन रोज़ा रहता था

बल्कि जिक्रो अज्कार की आवाज़े भी उसकी ज़बाने मुबारक से आती रहती थी I

जब ये बात लोगो को मालुम हुई की एक मासूम बच्चा पैदा होते ही रोज़ा भी रख रहा है,

और जिक्रो अज्कार भी कर रहा है, तो लोग इस बच्चे की जियारत को आने लगे ।

माहे रमजान का एहतेराम

🥏 इस करामत को देखकर लोग हैरान रह जाते जब देखते की इस बच्चे ने माहे रमजान का एहतेराम कुछ इस तरह से किया की अभी वो माँ की गोद में ही है,

मगर रमजान के मुसलसल रोजे भी रख रहा है इबादत भी कर रहा है। और जब रमजान का महीना ख़त्म होने को था

और ईद का दिन आने वाला था तो उस दिन लोग इस बच्चे को देखने आए,

उनके दिलो में ये उत्सुकता थी, की देखे आज ये बच्चा क्या करता है

आज भी ये दूध पीता है या रोज़ा रखता है,

और लोगो ने देखा की ईद के दिन इस बच्चे ने दिन में दूध पिया,

इस तरह जहां ईद का चाँद नहीं देखा जा सका था,

उन्हें भी इत्मीनान हो गया की आज “ईद” यकीनी तौर पर है, सुभानअल्लाह I




🥏ये थी मेरे हुजुर गौसे आज़म की पैदाइश की करामत।

अमूमन बच्चो पर वो भी दूध पीते बच्चे के लिए शरीयत की कोई पाबंदी नहीं होती है

लेकीन जो पैदाईशी वली होते है उनकी करामतो का क्या कहना और फिर ये तो हुजुर गौसे आज़म थे,

उनकी अज़मत का क्या कहना, जिनकी जियारत को दुनिया वाले ही क्या

बल्कि आसमान से फ़रिश्ते भी रोज़ाना सुबहो शाम आया करते, और आपकी बलाए लेते नही थकते थे I

सुभान अल्लाह

क्रमशः …

✒️: एड.शाहिद इक़बाल ख़ान,
चिश्ती-अशरफी

हुज़ूर ग़ौसे आज़म “रज़ियल्लाहु तआला अन्हु” बचपन के वाक्यात पार्ट-2

दुआ ए गौसे आजम हिंदी में, ghous pak wazifa in hindi, गौस पाक के वालिद का नाम क्या है

11 names of ghouse azam in hindi, gaus Paak gaus Paak gaus Pak gaus Pak

gause azam ke naam, gaus pak ka pura naam, gause azam birth date,

11 names of ghouse azam pdf, ghous pak ke 11 naam, gaus pak ka pura naam,

gause azam ke 11 naam, गौस पाक के 11 नाम, 11 names of ghouse azam pdf,

gaus pak ke 11 naam, दुआ ए गौसे आजम हिंदी में,

ghous pak ka pura naam, 11 names of ghouse azam, ghous pak ke 11 naam ka wazifa,

dua e gause azam in hindi, gause azam shayari hindi,

ghous pak ke 11 naam hindi mein


गौस पाक के 11 नाम

Show More

Related Articles

Back to top button