डीआरडीओ ने किया एसएफडीआर तकनीक का सफल परिक्षण,अब बगैर आवाज के दुश्मन तक पहुंचेंगी मिसाइलें…
सुरक्षा के मामले में भारत लगातार नए आयाम छू रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को देश को एक और सफलता मिली है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज में सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) तकनीक का फ्लाइट टेस्ट किया। अच्छी खबर है कि यह परीक्षण सफल रहा। इस तकनीक से भविष्य में भारत की मिसाइलों के और भी ज्यादा ताकतवर होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
क्या है SFDR?
डीआरडीओ ने एसडीएफआर का सफल फ्लाइट परीक्षण कर लिया है। डीआरडीओ की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, यह परीक्षण शुक्रवार सुबह 10.30 बजे हुआ है। दरअसल, यह एक तरह का बूस्टर इंजन है, जो मिसाइल को और ताकतवर बनाने में मदद करेगा। सुरक्षा में बेहतर उपकरणों के अलावा भारत स्वदेशी भी तेजी से अपना रहा है।
यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक है। डीआरडीओ की तरफ से किए गए ट्वीट में बताया गया है कि ग्राउंड बूस्टर समेत सभी सिस्टम्स ने अपेक्षा के अनुरूप ही काम किया है।
इस तकनीक की खासियतें
रैमजेट तकनीक के इस्तेमाल के बाद मिसाइल की ताकत में इजाफा होगा। बताया जा रहा है कि यह मिसाइल की रफ्तार को और तेज कर देगी। इतना ही नहीं तकनीक के इस्तेमाल के बाद दुश्मनों की ओर बढ़ती हुई मिसाइल से आवाज नहीं आएगी। साथ ही ये आसमान में उड़ते वक्त धुंआ नजर नहीं आएगा। यानि आवाज और धुएं के ट्रेस के जरिए दुश्मन के लिए मिसाइल का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा। रैमजेट तकनीक डीआरडीओ को लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल तैयार करने में मदद करेगी।
अस्त्र मार्क-3 में होगा रैमजेट तकनीक का इस्तेमाल
भारत बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल अस्त्र तैयार कर रहा है। इस मिसाइल का नाम अस्त्र मार्क-2 है। इस मिसाइल में गति ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। यह 4.5 मैक की रफ्तार से हमला करती है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा कि अस्त्र मार्क-3 में रैमजेट इंजन लग सकता है।