” घड़ी भाग रही है” या “समय निकल रहा है”
विश्व क्षय रोग दिवस पर विशेष
” घड़ी भाग रही है” या “समय निकल रहा है” यही है विश्व क्षय रोग दिवस 2021 की थीम! क्यूंकि पूरे विश्व से टी बी की बीमारी को ख़त्म करने का जो लक्ष्य है उसको प्राप्त करने की ओर हमारी जो रफ़्तार है वो काफ़ी नहीं है!
भारत ने भी 2025 तक टी बी को फतह करने का लक्ष्य रखा है! परन्तु प्रतिवर्ष हज़ारों को संख्या में मरीज़ मिल रहे हैं! कोविड 19 के कारण भी टी बी के मरीज़ों की पहचान और इलाज संभव नहीं हो पा रहा है! जब कि इस बीमारी में
शीघ्र पहचान(early diagnosis) अति महत्वपूर्ण है!
1920 में यूनानी हकीम अजमल खाँ साहब ने बताया था कि -“सिल “( टी बी ) कि पहचान अगर शुरू में ही हो जाए तो इसका इलाज मुमकिन है लेकिन अफ़सोस ये है कि मर्ज़ कि शुरुआत में जब लक्षण कमज़ोर होते हैं, इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता और जब मर्ज़ हावी हो जाता है, लक्षण तीव्र और मरीज़ कमज़ोर होजाता है तब इलाज कि तरफ तवज्जो दी जाती है! ऐसी हालत में इलाज मुश्किल होजाता है!” तो लक्षणों को सही समय पर पहचान कर जल्दी इलाज शुरु करना ही एक मात्र उपाय है! चाहे कोई वैश्विक महामारी ही हो, हमारी रफ़्तार कम नहीं होनी चाहिए, क्यूँकि “घड़ी भाग रही है!” लगातार!
कारण –
टी बी के मरीज़ के संपर्क में आने से; उनके खाँसने से इसके कीटाणु हवा के द्वारा श्वास के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं! कुपोषण, चिंता, एच आई वी इन्फेक्शन, आदि रोग जिनके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है इनमें भी संक्रमण का खतरा अधिक रहता है!
लक्षण –
- दो हफ्ते से ज़्यादा खांसी रहना
- रात में बुखार आना या पसीना और घबराहट होना
- भूख़ कि कमी
- वज़न लगातार कम होना
- खांसी के साथ खून आना
यदि इनमें से कोई भी लक्षण हो तो तुरंत जाँच करानी चाहिए! टी बी कि जाँच और सम्पूर्ण इलाज सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त किया जाता है! कुछ लोग सरकारी इलाज के बजाये दवाएँ खरीद कर खाते हैं लेकिन कुछ समय बाद दवाई महँगी होने के कारण या जानकारी के अभाव में थोड़ा ठीक महसूस होने पर इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं! बीच में दवाई बंद करने से बैक्टीरिया में दवाई के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता ( resistance ) विकसित हो जाती है और बाद में आम दवाएँ असर नहीं करतीं!
बचाओ के उपाय –
- अपने बच्चों को BCG का टीका अवश्य लगवाएँ!
2.टी बी के मरीज़ कि देखरेख करने वालों को उचित दूरी का पालन करना चाहिए, मास्क लगाना चाहिए!
3.मरीज़ को साफ हवादार कमरे में रखना चाहिए! हो सके तो किसी पहाड़ी इलाके में रखना चाहिए, यहाँ वायु शुद्ध होती है!
4.दवाएँ नियमित खिलाना और कोर्स पूरा करना!
5.मरीज़ के साथ भेदभाव वाला व्यवहार ना करें!
6.पोषण आहार कराएं! यूनानी पद्धति में ऐसे मरीज़ों कि भूख़ बढ़ाने और बल वर्धक भोजन पर ज़ोर दिया गया है! संतरे का जूस, बकरी का दूध, मछली का तेल और अंडा इसमें फायदेमंद होता है!
इस समय भारत सरकार कि ओर से कोरोना से बचाओ, कुपोषण निवारण आदि में आयुष-यूनानी पद्धति को साथ लेकर काम होरहा है! टी बी के राष्ट्रीय कार्यक्रम में भी इनके द्वारा सुझाये गए उपायों को शामिल करना वक़्त कि ज़रूरत है! क्यूँकि “घड़ी भाग रही है!”
डॉ रूबीना शाहीन अंसारी,
यूनानी चिकित्सा अधिकारी
राजनांदगांव छत्तीसगढ़