चमड़े का लुटेरा” पुस्तक की लेखिका सिलिस्ती करूरिया हैं, जो अजमेर की रहने वाली हैं। वर्तमान समय में पीएचडी स्कॉलर भी हैं। जीवन की डोर का कुछ पता नहीं चलता कब टूट जाये और न जाने कब किसके साथ जुड़ जाए। सिलिस्ती बताती है जब वह यह पुस्तक लिख रही थीं तो उनके मन में कई ऐसे ख़्याल आए की पुस्तक का नाम अटपटा तो नहीं, लोग इसे पसंद करेंगे या नहीं। यह एक आम बात है, कि शुरुआती दौर में ऐसे सवालों में कोई भी शख़्स उलझ ही जाता है। पुस्तक प्रकाशित होने के बाद आज सिलिस्ती स्वयं यह बयाँ करती हैं कि उनकी पुस्तक के टाइटल पर ही कई लोगों ने उनकी तारीफ की है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि कोई नहीं जानता कि बुक का लेखन करने के पश्चात बाज़ार में, लोगो के संज्ञान में किस प्रकार ठहर जाती है और अपने होने का हर पल एहसास कराती है।
चमड़े का लुटेरा ज़मीनी स्तर पर जीवन की हकीकत को बयाँ करते हुए जीवन के उन गहरे घावों को भी उजागर करती है जो शायद आज तक भर ही नहीं पाए, जो शायद हर पल बीते हुए दुखद समय की यादों में ले जाते हैं।
सिलिस्ती को रहस्यमयी, रोमांटिक, रोमांचक, थ्रिलर स्टोरीज लिखना बेहद पसन्द है और उनकी पहली पुस्तक में ही उन्हें लोगो का बहुत प्यार मिल रहा है। जिससे वह इतनी खुश है क्योंकि वह कहते है कि “मुझे इस बात का बिल्कुल भी इल्म नहीं था कि मेरी किताब चमड़े का लुटेरा लोगो को इतनी पसन्द आएगी। में धन्यवाद देना चाहूँगी उन सभी पाठकों का जो मेरी पुस्तक को इतना प्यार दे रहें है।
एक प्यार, एक विश्वास और एक धोखा सब कुछ बदल देता है। ये पंक्ति है सिलिस्ती करूरिया की पहली किताब ‘चमड़े का लुटेरा’ की। पुस्तक प्रेम कहानी पर आधारित है। इसी के चलते सिलिस्ती ने अपना नारीधर्म निभाया और एक नारीप्रधान उपन्यास लेकर प्रस्तुत हुई हैं।