योग शब्द के हैं अनेक महान अर्थ : डॉ रुबीना अंसारी

योग और हम
≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈
योग शब्द अपने आप में महान अर्थ समाए हुए है। कुछ लोग इसे महज़ कुछ आड़े तिरछे आसन जानते हैं, तो कुछ लोग भोग के बिलकुल विपरीत अर्थ को योग समझते हैं। जबकि योग का अर्थ है संसार के संसाधनों का सूझ बूझ कर उपभोग करना।
फ़र्ज़ करो कि हमारा जीवन एक कश्ती (नाव ) है और संसार एक बड़ा सा समंदर है। इस समंदर का पानी कश्ती के चलते रहने के लिए बहुत ज़रूरी है लेकिन अगर यही पानी कश्ती के अंदर आने लगे तो कश्ती डूबने लगेगी। इसी तरह ईश्वर ने हमारे जीवन को आसान करने के लिए दुनिया की तमाम चीज़ें बनाई हैं। परन्तु हमें इनका सीमित उपयोग करना चाहिए।
यदि इस दुनिया को लोभ हमारे अंदर समा गया तो हम अपने जीवन का असल मक़सद भूल जायेंगे। तो हर वस्तु का उपयोग करते समय संयम ज़रूरी है और इसी का नाम योग हैं।
योग का एक अर्थ जोड़ (जोड़ना ) या जमा करना भी है।
योग आसन से अभिप्राय हुआ वो कार्य जिनसे लोगों को आपस में जोड़ने में आसानी हो! या वो कार्य जिनसे लोगों के बीच की दूरियां मिटती हो! आज हमारी धरती पर ऐसे योगियों की आवश्यकता है,जो अपने प्रयोजन से, नफ़रत को घटाकर, सदभावना का योग कर सकें।
योग से शरीर, मन, और आत्मा को सुंदर बनाना है। योग से सभी प्राणियों के लिए जीने योग्य धरती बनाना है। योग से ‘मुझ’ में ‘हम’ को समाना है।
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 🙏🏻
डॉ रुबीना अंसारी