AI और न्यायपालिका: केरल हाई कोर्ट की नई नीति, जानें क्या हैं खास नियम

Kerala High Court AI Policy, केरल हाई कोर्ट का बड़ा कदम: अब जिला न्यायपालिका में AI के उपयोग पर कड़े नियम

केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में, एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ जारी किया है। इसका शीर्षक ‘जिला न्यायपालिका में AI टूल्स के, उपयोग के संबंध में नीति’ है। यह नीति न्यायिक कार्यों में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के “जिम्मेदार उपयोग” को सुनिश्चित करती है। यह न्यायपालिका में इसकी निर्भरता को, सीमित करने की दिशा में पहला प्रयास है। यह भारत का पहला उच्च न्यायालय है, जिसने इस दिशा में, औपचारिक दिशा-निर्देश तय किए हैं।




यह AI के उपयोग पर एक बड़ा कदम है।

नीति का मुख्य उद्देश्य और दायरा

इस नीति का मुख्य उद्देश्य एआई के सीमित और जिम्मेदार उपयोग को, सुनिश्चित करना है। खासकर न्यायिक आदेश, निर्णय या मसौदा तैयार करने जैसे, कार्यों में इसका उपयोग पूरी तरह वर्जित है। यह नीति न्यायाधीशों, लिपिकों, इंटर्न। न्यायालय कर्मचारियों और अन्य संबंधित कर्मियों पर, लागू होती है। चाहे वे निजी या सरकारी उपकरणों पर एआई का उपयोग करें।

यह एआई नीति का मूल उद्देश्य है।

चार प्रमुख सिद्धांत

नीति चार प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है। ये हैं पारदर्शिता, निष्पक्षता, जवाबदेही, और गोपनीय डेटा की सुरक्षा।

यह एआई के लिए निर्धारित सिद्धांत हैं।

AI टूल्स का वर्गीकरण और सीमाएं

दस्तावेज़ में “जनरल” एआई टूल्स और, “स्वीकृत” AI टूल्स के बीच, स्पष्ट अंतर किया गया है। केवल वे एआई टूल्स ही, न्यायिक कार्य में प्रयोग किए जा सकते हैं। जिन्हें केरल हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा, अनुमोदित किया गया हो।

यह AI टूल्स के उपयोग की शर्त है।

AI के उपयोग की विशेष शर्तें

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