सऊदी अरब में इस साल haj के लिए 15 लाख से ज़्यादा विदेशी जायरीन पहुँचे हैं। पिछले साल यह संख्या 16 लाख से अधिक थी। बुधवार को ये सभी जायरीन अराफात पहुँचे। कुछ लोग 40 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में पैदल चल रहे थे। कई लोग अपने बुजुर्गों परिजनों को साथ लेकर आए थे।
गुरुवार को सूरज ढलने के बाद वे मुजदलिफा गए। यह एक रेगिस्तानी मैदान है। वहाँ से उन्होंने कंकड़ इकट्ठे किए। ये कंकड़ एक धार्मिक रस्म पूरी करने के लिए इस्तेमाल होंगे। हज मंत्रालय के प्रवक्ता गस्सान अल-नुवैमी ने यह संख्या बताई है। इसमें स्थानीय जायरीन शामिल नहीं हैं। लोग अपने शिविरों में जाने से पहले आराम करते दिखे। कई लोग जमीन पर बैठकर खाना खा रहे थे।
सऊदी अरब ने भीड़ को नियंत्रित करने पर करोड़ों डॉलर खर्च किए हैं।
सुरक्षा उपायों पर भी खूब पैसा लगाया गया है।
हालांकि, इतनी बड़ी भीड़ में सबकी सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल होता है।
हाल के सालों में गर्मी हज की सबसे बड़ी चुनौती रही है।
इस सप्ताह की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्री फहाद बिन अब्दुलरहमान अल-जलाजेल ने जानकारी दी।
बताया कि गर्मी से बचाव के लिए 10,000 पेड़ लगाए गए हैं। अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई गई है।
पैरामेडिक्स की संख्या को भी तीन गुना किया गया है। ये सभी उपाय जायरीनों की सुरक्षा के लिए हैं।
Haj 2025: छत्तीसगढ़ से 600 से अधिक ज़ियारीन करेंगे हज का सफर
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हज इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है। मक्का के दक्षिण-पूर्व में एक चट्टानी पहाड़ी है। इसका नाम माउंट अराफात है। इस्लाम में इसका बहुत महत्व है। कुरान में भी अराफात का ज़िक्र है। कहा जाता है कि पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम” (ﷺ) ने यहीं अपना अंतिम उपदेश (खुतबा) दिया था।
अराफात का दिन साल का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन अल्लाह अकीदतमंदों के करीब आते हैं। वे उनके गुनाहों को माफ़ करते हैं। जायरीन अराफात में आधी रात से लेकर सूर्यास्त तक दुआएं करते हैं। यह हज का एक बेहद खास हिस्सा है।
हज एक आध्यात्मिक यात्रा है। यह लाखों मुसलमानों को एक साथ लाती है।
सऊदी सरकार इस यात्रा को सफल बनाने के लिए हर साल बड़े प्रयास करती है।
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