चंडीगढ़ पहाड़ी इलाकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है और इसका श्रेय चंडीगढ़ के पंजाब यूनिवर्सिटी को जाता है। यहां के दो विभागों के प्रोफेसरों ने एक सेंसर का निर्माण किया है, जो बता देगा कि पहाड़ से पत्थर गिरने वाला है। यह चेतावनी कुछ घंटे पहले मिल जाएगी, जिससे जनहानि को टाला जा सकेगा।
केंद्र सरकार की ओर से रिसर्च का यह पायलट प्रोजेक्ट विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को दिया गया था। सेंसर लगाने की शुरुआत हिमालच प्रदेश के कुल्लू जिला स्थित मणिकर्ण से होगी।
यहां पूरी तरह सफलता मिलने के बाद सरकार अन्य पहाड़ी इलाकों में इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएगी। इसका लाभ हिमाचल प्रदेश के अलावा जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान और दक्षिण भारत को भी मिलेगा।
धार्मिक स्थल मणिकर्ण से होगी शुरुआत
केंद्र सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) की ओर से लैंड स्लाइड फॉर वार्निंग सिस्टम धार्मिक स्थल मणिकर्ण का यह प्रोजेक्ट पीयू के भूगर्भ विज्ञान विभाग के प्रोफेसर महेश ठाकुर को मिला।
उन्होंने इस प्रोजेक्ट से इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. नवीन अग्रवाल और प्रो. सुखबीर सिंह को जोड़ा। सबसे पहले उन्होंने कुल्लू जिले के मणिकर्ण स्थित पर्वत की थ्री डी मॉडलिंग (चट्टान का आकार व कितना उछलेगी और कहां तक जाएगी) तैयार की और उसके बाद सेंसर तैयार किया।
मनीकर्ण में रॉकफॉल अधिक है।
इसे चट्टानों का जंप करना भी कहते हैं। इन वैज्ञानिकों ने एक सेंसर तैयार किया और उसका ट्रायल किया जो प्रथम चरण में सफल रहा। अब मणिकर्ण स्थित बड़ी चट्टानों पर यह सेंसर लगने जा रहा है। यहां प्रोजेक्ट पूरी तरह सफल होने के बाद यह अन्य बड़े पहाड़ों की ओर बढ़ेगा। इसका लाभ कई राज्यों को मिल सकेगा।