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जो पाया उसे याद रखें, जो नहीं मिला, उसे भूल जाए
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रायपुर। टेलीविजन व सोशल मीडिया पर छाए रहने वाले गुजराती साहित्य के सितारे व विचारक काजल ओझा वैद्य व जय वसावडा को देखने व सुनने रविवार को प्रदेशभर से गुजराती समाज के लोग बड़ी संख्या में रायपुर पहुंचे थे। समय से काफी पहले से ही पं. दीनदयाल ऑडिटोरियम हॉल खचाखच भर गया था। स्थिति ऐसी थी कि कई लोग तो दो घंटे तक दोनों वक्ताओं को खड़े-खड़े ही सुनते रहे। दोनों ने समझाया, शिकायतें छोड़कर जीए। खुद मौज से रहे और दूसरों की खुशी का भी ध्यान रखें, तो जीवन उत्सव बन जाएगा।
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गुजराती में लिखे अपने नियमित कॉलमों व 15 बेस्ट सेलर्स पुस्तकों के कारण देश के लाखों गुजरातियों में अत्यधिक लोकप्रिय जय वसावडा ने संबोधन की शुरुआत करते कहा कि अपना जीवन ऐसे जीना चाहिए कि किसी दूसरे के लिए कही भी बाधक ना बने। चाहे जितनी परेशानी में हो, सामने वाले से हमेशा खुशी के साथ पेश आने वाला ही अपना व दूसरों का जीवन सफल बना सकता है, क्योंकि जीवन है, तो कई मुश्किलें भी रहेंगी ही। यहां कुछ भी स्थायी नहीं है। जो पाया उसे याद रखें, जो नहीं मिला या खो गया है, उसे भूल जाए। इस दौरान लगातार श्रोताओं की तालियों से हॉल गूंजता रहा।
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मुश्किलों को भूलकर खुशी से जीए तो जीवन बन जाएगा उत्सव
शुभारंभ आरोही कारिया, भाव्या नथवानी व कृपा रायचुरा की सरस्वती वंदना से हुआ। गुजराती में कार्यक्रम को शैलेश कारिया ने संचालित किया। स्वागत उद्बोधन स्पंदन के हितेश रायचुरा ने किया। उद्बोधन में मुख्य अतिथि विहिप के अंतरराष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रमेश मोदी, कृषि पंडित नारायणभाई चावड़ा व विशेष अतिथि लोहाणा समाज की गौरव के रूप प्रसिद्ध नीलूबेन बुद्धदेव ने गुजरातियों में हुए आयोजन की सराहना करते हुए जय-जय गरवी गुजरात का नारा बुलंद किया। इन्होंने कहा कि कार्यक्रम समाज युवाओं को लिए यह काफी प्रेरक है।
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गुजराती मीडिया, थियेटर व टीवी पर विविध भूमिकाएं निभाने वाली व 20 से भी अधिक नाटक व उपन्यास से गुजराती साहित्यकारों में बड़ी ख्याति रखने वाली काजल ओझा वैद्य ने अपने संबोधन में कहा कि जीवन को उमंग से जीए, तो रोजाना उत्सव हो सकता है। जिस तरह पांचों उंगलियां एक समान नहीं होती, इसी तरह लोग भी भांति-भांति के होते हैं। ऐसे में सब उंगलियां मिलकर हर काम सकती है, उसी तरह मिल-जुलकर रहे तो आनंद ही आनंद है। कोई साथ ही नहीं है, तो आनंद का असली मजा नहीं ले सकेंगे। दीपालवी पर घर की सफाई की तरह कम से कम साल में एक बार मन में रख रखे गिले-शिकवे शिकायत को साफ कर सबको साथ लेकर चलेंगे तो जीवन उत्सव बन जाएगा।
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