विकास का रहस्य खुला! 20 मिलियन साल पुराने प्रोटीन से बदली Science की दुनिया! 20 Million Year Old Proteins: New Understanding of Evolution
वैज्ञानिकों ने दो ऐतिहासिक अध्ययनों में। एक बड़ी खोज की है। उन्होंने दांतों की इनेमल परत में। 20 मिलियन वर्ष से अधिक पुराने प्रोटीन पाए हैं। ये निष्कर्ष “नेचर” जर्नल में छपे हैं।
इस खोज ने प्राचीन जैव-अण्विक डेटा की। समयसीमा को दस गुना पीछे धकेल दिया है। यह सबसे पुराने डीएनए से भी पुराना है। यह Science की दुनिया में क्रांति है।
प्राचीन प्रोटीन कहाँ से मिले?
ये प्राचीन प्रोटीन दो अलग-अलग जगहों से मिले।
- तुर्काना बेसिन, केन्या:
- यहां 18 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म मिले।
- ये गर्म उष्णकटिबंधीय जलवायु में संरक्षित थे।
- स्तनधारी दांतों से प्रोटीन प्राप्त हुए।
- प्रजातियों में प्राचीन हाथी और गैंडा जैसे जानवर थे।
- हॉटन इम्पैक्ट क्रेटर, डेवोन आइलैंड, कनाडा:
- यहां 21-24 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म मिले।
- अत्यधिक ठंडी जलवायु में ये संरक्षित थे।
- गैंडे की उप-प्रजाति Rhinocerotinae के दांत थे।
संरक्षण की स्थितियाँ बहुत खास थीं।
कैसे संभव हुई यह अद्भुत खोज?
इनेमल संरचना इसमें सहायक रही। दांतों की बाहरी परत सबसे कठोर होती है। इसमें फंसे प्रोटीन स्व-फॉसिलाइज हो जाते हैं। जिससे वे लाखों वर्षों तक बचे रहते हैं। तेज दबाव और ऑक्सीजन की कमी भी महत्वपूर्ण थी। दोनों स्थानों पर जीवाश्मों का तेज दफन हुआ। कम ऑक्सीजन ने संरक्षण को संभव बनाया। यह Science की एक अद्भुत उपलब्धि है।
प्रोटीन बनाम डीएनए: क्या अंतर है?
अब तक सबसे पुराना डीएनए लगभग 2 मिलियन वर्ष पुराना था। यह ग्रीनलैंड से प्राप्त हुआ था। नई खोज में प्रोटीन 20 मिलियन वर्ष से पुराने हैं। प्रोटीन प्रकार Amelogenin, Enamelin, Ameloblastin हैं। अत्याधुनिक मास स्पेक्ट्रोमेट्री तकनीक का उपयोग हुआ। संदूषण नियंत्रण भी बेहद अहम था।
- डीएनए: उच्च संकल्प क्षमता होती है। करीबी प्रजातियों के बीच अंतर बताता है।
- प्रोटीन: लंबे समय तक टिकाऊ होते हैं। गहरे विकासवादी अंतर समझने में सक्षम होते हैं।
प्रोटीन अब एक नया स्रोत हैं।
विकास संबंधी निष्कर्ष और नई समझ
इस खोज से Rhinocerotidae वंशवृक्ष बदल गया है। Epiaceratherium प्रजाति अब इस विभाजन से पहले। अलग हुई मानी जा रही है। यह जीवाश्म-आधारित मॉडलों को चुनौती देता है।
तुर्काना बेसिन के जीवाश्मों से। अफ्रीकी स्तनधारियों के विकास के सुराग मिले हैं। जैसे हाथी, दरियाई घोड़े, मानव पूर्वज आदि। यह हमारी विकास की समझ को गहरा करता है।
वैज्ञानिकों की राय और भविष्य की संभावनाएँ
डॉ. नीरज राय (BSIP, लखनऊ) कहते हैं। “यह खोज जैव-अण्विक संरक्षण की। समयसीमा को फिर से परिभाषित करती है।” डॉ. टिमोथी पी. क्लेलेन्ड (स्मिथसोनियन) का कहना है। “इनेमल प्रोटीन जैविक लिंग और विकास क्रम समझने में सक्षम हैं।” डॉ. डैनियल ग्रीन (हार्वर्ड) मानते हैं। “पुराने नमूनों में मिले पेप्टाइड। तेज दफन और भौगोलिक स्थितियों की। अहम भूमिका दिखाते हैं।”
भविष्य में 24 मिलियन वर्ष से पुरानी। जैविक जानकारी मिल सकती है। खासकर आर्कटिक या अंटार्कटिक जैसी जगहों पर। यह खोज पेलियोप्रोटीओमिक्स में। नई क्रांति लाएगी। हम मौजूदा विकासवादी सिद्धांतों को। फिर से जांच पाएंगे। यह Science के लिए एक नया अध्याय है।
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