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स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण विषयों के बारे में केशकाल (कोंडागाँव) के किशोरों का ज्ञान 3 गुना बढ़ा

कोंडागाँव छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव में एनीमिया, पोषण परामर्श, कृमि संक्रमण और डीवर्मिंग, व्यक्तिगत एवं माहवारी के दौरान स्वच्छता, मलेरिया और हीमोग्लोबिनोपैथी (सिकल सेल एनीमिया) जैसे स्वास्थ्य के विषयों के बारे में किशोरों की समझ में तीन गुना सुधार देखने को मिला है।

कोंडागाँव जिले के केशकाल ब्लॉक में सितंबर 2022 से फरवरी 2024 तक एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया था, जिसमें 119 स्कूलों और 9600 से अधिक विद्यार्थियों से संपर्क स्थापित कर जागरूक किया गया।

इस पायलट का उद्देश्य किशोरों के बीच पोषण के बारे में जागरूकता बढ़ाना था, ताकि किशोरों को पोषण संबंधित शिक्षा देकर एनीमिया कम करने और उनके संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद मिल सके।

इसके अलावा, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ न्यूट्रिशन इंटरनेशनल ने साझा किया कि पोषण एवं उसके प्रति सतर्क व्यवहार की जागरूकता बढ़ाकर किशोरों के बीच स्वस्थ आदतों को अपनाने की दर तीन गुना बढ़ाई जा सकती है।

इस प्रक्रिया में उप-स्वास्थ्य केंद्रों में मास्टर प्रशिक्षकों के साथ एक कोर ग्रुप का गठन किया गया, जिनमें पंचायती राज संस्थान (पीआरआई) के सदस्य, मितानीन कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (आर.एच.ओ.), नोडल शिक्षक, चिन्हित किशोर, ब्लॉक संसाधन समन्वयक आदि शामिल थे।

पोषण, एनीमिया, संक्रमण और व्यक्तिगत एवं माहवारी के दौरान स्वच्छता के विषय पर प्रशिक्षण पत्रक और मॉड्यूल विकसित किए गए। इसके अतिरिक्त शिक्षकों का उन्मुखीकरण, एवं किशोरों के बीच स्कूल में साथियों के साथ प्रशिक्षण जैसे गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों के बीच स्वास्थ्य और पोषण संबंधित ज्ञान में 3 गुना वृद्धि दर्ज की गई।

पोषण संबंधित प्रशिक्षण पूर्वपरीक्षा और प्रशिक्षण पश्चात परीक्षा में सही उत्तर देने वाले किशोरों की संख्या 23.5% से बढ़कर 85% दर्ज हुई। इसी प्रकार डीवर्मिंग के लिए सही उत्तर देने वाले किशोरों की संख्या 31% से बढ़कर 83% दर्ज की गई।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण – 5 के अनुसार कोंडागाँव में किशोरियों में एनीमिया 80% और गर्भवती महिलाओं में 88% तक फैला हुआ है।

एनीमिया की रोकथाम और उपचार के लिए ज्ञान होना आवश्यक

जागरूकता केंद्रित प्रयोगो के क्रियान्वयन से किशोरों में उनके आहार, व्यवहार और प्रथाओं पर अधिक निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है, और उन्हें एनीमिया की रोकथाम और उपचार का बेहतर ज्ञान होता है।

क्षमता निर्माण में निवेश करके और व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रोत्साहन देकर जन स्वास्थ्य की एक बड़ी समस्या, एनीमिया का प्रभावी हल निकाला जा सकता है।

इस तरह के पायलट एनीमिया से निजात दिलाने मे उपयोगी समाधान साबित हो सकते हैं, जो एनीमिया मुक्त भारत के उद्देश्य के अनुरूप है। इसके साथ-साथ, किशोरों को गैर-पोषण संबंधी कारणों के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है, और आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण से परे एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

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