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अब बेबी पॉड के जरिए ‘फैक्ट्री’ में हर साल पैदा होंगे बच्चे, जानिए क्या है बेबी पॉड और कैसे करेगा काम?

क्या आपने कभी सोचा था कि बच्चे पैदा करने की भी फैक्ट्री हो सकती है? फैक्ट्री भी ऐसी जो एक साल में 30 हजार बच्चे पैदा करे। शायद नहीं…!, लेकिन अब आप इसे सोच भी सकते हैं और साकार होते भी देख सकते हैं। इसका दावा किया है बायोटेक्नोलॉजिस्ट और साइंस कम्युनिकेटर हाशम अल-घाइली ने, उन्होंने यूट्यूब पर एक वीडियो शेयर किया है जो ‘Ectolife:



एक्टोलाइफ 75 लैब बनाएगा और हर लैब में 400 बेबी पॉड होंगे. जो पूरी तरह से यूट्रेस की तरह डिजाइन होंगे। यह बच्चे को वही अहसास कराएंगे जो बच्चे को मां के गर्भ में होता है।

दुनिया की पहली कृत्रिम गर्भ सुविधा’ शीर्षक से यूट्यूब पर ट्रेंडिंग में है. इस वीडियो में दावा किया गया है कि बच्चे पैदा करने के लिए अब मां की कोख जरूरी नहीं होगी. यह काम अब ‘बेबी पॉड’ करेगा, नौ महीने बाद एक स्विच प्रेस कर बच्चों का जन्म हो सकेगा. बेबी पॉड लगाने का काम कंपनी करेगी, जिसका नाम एक्टोलाइफ है.



क्या है ‘बेबी पॉड’

यह एक तरह की मशीन है, जो बच्चे को बिल्कुल मां की कोख की तरह अहसास कराएगी इसीलिए इसे कृत्रिम गर्भ भी कहते हैं। ये मशीन वो सारे काम करेगी जो बच्चेदानी करती है।

जिस तरह से गर्भ में प्लेसेंटा के जरिए बच्चे को पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलती है, इसी तरह मशीन में भी एक कृत्रिम प्लेसेंटा होगी जो बच्चे तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाएगी। इसका एक निश्चित तापमान होगा, जिस पर नजर रखने के लिए मॉनीटर होगा। इसी मॉनीटर में बच्चे की हार्टबीट, उसके विकास आदि पर नजर रखी जाएगी।

75 लैब होंगी, हर लैब में होंगे 400 बेबी पॉड

बायोटेक्नोलॉजिस्ट और साइंस कम्युनिकेटर हाशम अल-घाइली ने यूके के मेट्रो से बातचीत में बताया कि एक्टोलाइफ 75 लैब बनाएगा और हर लैब में 400 बेबी पॉड होंगे. जो पूरी तरह से यूट्रेस की तरह डिजाइन होंगे। यह बच्चे को वही अहसास कराएंगे जो बच्चे को मां के गर्भ में होता है। माता पिता एक एप के द्वारा बच्चों के विकास पर घर बैठे नजर रख सकेंगे। यदि बच्चों के विकास में कुछ गड़बड़ी होगी तो एप समय रहते ही जानकारी दे देगा। नौ महीने पूरे होते ही एक स्विच प्रेस करते ही बच्चे की डिलीवरी हो जाएगी।

घर ला सकेंगे अपने मुताबिक बच्चे

एक्टोलाइफ कंपनी की ओर से शुरू की जाने वाली कृत्रिम गर्भ सुविधा में अभिभावकों के लिए अलग-अलग पैकेज होंगे, मेट्रो की एक रिपोर्ट के हिसाब से इसका एक एलाइट पैकेज भी होगा जिससे अभिभावक यह तय करेंगे कि उन्हें बच्चे का चेहरा, रंग, लंबाई कैसी चाहिए? इस पैकेज के तहत उन्हें 300 से ज्यादा जीन में से कोई एक चुनने की सुविधा मिलेगी। इनमें से नौ जीन को वह एडिट भी करके मनमाफिक बच्चा पा सकेंगे।

तकनीक से होगा ये लाभ

हाशम अल-घाइली के मुताबिक एक्टोलाइफ बिना कंसेप्शन के लोगों को अभिभावक बनने की सुविधा देगा. यह सुविधा उन देशों के भी बहुत काम आएगी जो जनसंख्या वृद्धि दर में आ रही कमी से जूझ रहे हैं, जैसे जापान बुल्गारिया और साउथ कोरिया. घाइली का दावा है कि ये तकनीक उन महिलाओं के लिए भी सहायक सिद्ध होने वाली है जो किसी बीमारी की वजह से अपने यूट्रेस को निकलवा चुकी हैं।

सफल होगा प्रयास : एक्सपर्ट

घाइली और एक्टोलाइफ की कोशिशें सफलता का नया इतिहास लिख सकती हैं, खुद एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं. लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर एंड्रयू शेनन ने हफ पोस्ट से बातचीत में बताया कि बेबी पॉड बिना कोख के बच्चे पैदा करने में सफल हो सकते हैं, बशर्ते उन्हें करेक्ट इनवायरमेंट, फ्यूज और ऑक्सीजन दिया जाए।

उन्होंने बताया कि पहले भी ऐसा हो चुका है कि मां के गर्भ से प्रीमैच्योर बेबी को निकालकर इंक्यूबेटर्स में रखा गया और उन्हें टूयब की मदद से दूध पहुंचाकर बचाने में सफलता पाई गई।

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